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Paint: Hendik Azharmoko |
इक
घड़ी और ठहर जा
कि
रात बाक़ी है!
तड़पता
छोड़कर ना जा
अधूरी
बात बाक़ी है!!
यूँ
न समझ कि इश्क़ का मारा हूँ,
जितना
हूँ,
जो कुछ हूँ तुम्हारा हूँ!
तालिब-ए-इल्म
हूँ,
सीखा कहाँ कुछ भी
जाना
है हर्फ़ पहला, पाठ बाक़ी है!!
तड़पता
छोड़कर ना जा... (१)
होने
से तेरे आता है सुकूँ ये कहाँ से
पहलू
में तू रहे, तो नाता क्या जहाँ से!
क्या
जुस्तजू है तू मेरी, मुझको नहीं पता
कहना
है मगर सार, जज़्बात बाक़ी है!!
तड़पता
छोड़कर ना जा... (२)
तू
फ़िक्र है मेरी, मेरे अख़लाक तुझी से
मेरे
गीतों के अल्फ़ाज़, हों पाक तुझी से!
मैंने
पाया है आब-ए-हयात की तरह तुझको
मेरी
जाँ ठहर,
मुलाक़ात बाक़ी है!!
तड़पता
छोड़कर ना जा... (३)