छविः साभार |
• अमित राजपूत
पिया संग रास रचाओ गोरी
जिमि मन भर रंग बरसाओ
गोरी
पिया संग रास…
नव कलरव नव मीत मिले हैं
द्रुमदल सज धज मस्त खिले
हैं
मद नव डूबी मंद हवाएँ
बतिया तनी तो बढ़ाओ थोरी
पिया संग रास…
चहुँ ओर धूरि गुलाल उड़त
है
फगुन मास तन मधु ही झरत
है
मिल सखि साजन चाँदनी
रतिया
प्रीत की गाँठ लगाओ डोरी
पिया संग रास…
काजर नैनन सँइया जी लखत
हैं
छुअत अंग जिया वेग बढ़त
है
कटि कर जकर पियासी रैना
छक गटक गटक के तलक भोरी
पिया संग रास…
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