Monday, 22 June 2020

ग्रहण

• अमित राजपूत

घुप्प अंधेरा कितना भी हो
गहरा हो कितना भी ग्रहण।
जो प्यार पीर से कर ली तो
आयेगा मुक्ति का झट क्षण।।

फिर उल्लासित जीवन में
हर रोज़ के जैसे मुस्काना।
ख़ुद हँसना रोज़ हँसाना सबको
जीवटता का ले लो प्रण।।

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