काम पकरि लेव, लगि लेव धंधेतजि माया अरु लोभ!उमर बीस बीती है जब से,सुना रहे हैं लोग!!
सुना रहे हैं लोग समय है बुरा ज़माना,दिल्ली जाकर देखो ख़ाली पड़ा ख़ज़ाना।सड़े पखाने जइसी क़िस्मत लेकरना रोना ऐ लोग...!काम पकरि लेव, लगि लेव धंधेतजि माया अरु लोभ!!उमर बीस बीती है जब से... (१)
एक गिद्ध जऊँ नोच के खाता,कोऊ-कोऊ खाता, नहीं बताता।इन-दोऊ गिद्धन केर मेर बराबरकरि लेव चाहे शोध...काम पकरि लेव, लगि लेव धंधेतजि माया अरु लोभ!!उमर बीस बीती है जब से... (२)
बाप खवाएन दही औ माठाहमको चउआ दुहेन न आता।बाप बराबर कभौ न होइहौपकिरौ आपन-आपन माथा।।लपकौ चाकरी छोर छोकरीआलस छोरि सुबोध...!काम पकरि लेव, लगि लेव धंधेतजि माया अरु लोभ!!उमर बीस बीती है जब से... (३)
करौ सिलाई चहे कढ़ाईकढ़ाई पे चाहे तलौ पकउरा।नीकेन कहने प्रधान प्रवर हो!सबेन मा गरुवाई पखउरा।पढ़े क कहतें कहाँ से भैवाख़ुदौ तो चहिए बोध...काम पकरि लेव, लगि लेव धंधेतजि माया अरु लोभ!!उमर बीस बीती है जब से... (४)
कविन की मानौ बुइया बच्चाकरौ पढ़ाई तो अच्छेन अच्छा।नहीं तो चुप्पे उद्दिम पकिरौखइहौ रोज़ पराठा लच्छा।बात करू है, सुनि लेव बाबू!समझो नहीं विनोद...बहुत गरू होता है पीठ परइन चउदा ईंटन का बोझ!! (५)
-अमित राजपूत