Tuesday, 30 August 2022

चउदा ईंटन का बोझ

 


काम पकरि लेव, लगि लेव धंधे
तजि माया अरु लोभ!
उमर बीस बीती है जब से,
सुना रहे हैं लोग!!

 

सुना रहे हैं लोग समय है बुरा ज़माना,
दिल्ली जाकर देखो ख़ाली पड़ा ख़ज़ाना।
सड़े पखाने जइसी क़िस्मत लेकर
ना रोना ऐ लोग...!
काम पकरि लेव, लगि लेव धंधे
तजि माया अरु लोभ!!
उमर बीस बीती है जब से... (१)

 

एक गिद्ध जऊँ नोच के खाता,
कोऊ-कोऊ खाता, नहीं बताता।
इन-दोऊ गिद्धन केर मेर बराबर
करि लेव चाहे शोध...
काम पकरि लेव, लगि लेव धंधे
तजि माया अरु लोभ!!
उमर बीस बीती है जब से... (२)

 

बाप खवाएन दही औ माठा
हमको चउआ दुहेन न आता।
बाप बराबर कभौ न होइहौ
पकिरौ आपन-आपन माथा।।
लपकौ चाकरी छोर छोकरी
आलस छोरि सुबोध...!
काम पकरि लेव, लगि लेव धंधे
तजि माया अरु लोभ!!
उमर बीस बीती है जब से... (३)

 

करौ सिलाई चहे कढ़ाई
कढ़ाई पे चाहे तलौ पकउरा।
नीकेन कहने प्रधान प्रवर हो!
सबेन मा गरुवाई पखउरा।
पढ़े क कहतें कहाँ से भैवा
ख़ुदौ तो चहिए बोध...
काम पकरि लेव, लगि लेव धंधे
तजि माया अरु लोभ!!
उमर बीस बीती है जब से... (४)

 

कविन की मानौ बुइया बच्चा
करौ पढ़ाई तो अच्छेन अच्छा।
नहीं तो चुप्पे उद्दिम पकिरौ
खइहौ रोज़ पराठा लच्छा।
बात करू है, सुनि लेव बाबू!
समझो नहीं विनोद...
बहुत गरू होता है पीठ पर
इन चउदा ईंटन का बोझ!! (५)


-अमित राजपूत

Thursday, 18 August 2022

सावन, संगम और शिव

चौदहवीं की साँझ काली

संग साक्षी पीहू आली!

क्या ग़ज़ब श्रृंगार करके

आ खड़े हैं मेघ देखो;

हाय! देखो उनके श्री से

आसमाँ पे कृष्ण-लाली!!

 

ये जो सावन रुक गया है

रुक गये हैं शिव के नंदी!

गिर बने बादल खड़े हैं

उनके पीछे अर्क बंदी!!

 

दृश्य गोचर जो बना है,

वो अगोचर अनजना है!

हाय! पर्वत है लुभाता

मेघों का जो तन तना है!!

 

मानों उनकी ओट लेकर

'मित्र'वर मुँह धो रहे हैं!

साँझ माता हकबकाती

थार नूतन सज रहे हैं!!

 

वासुकी वायव्य-गिर पर

जा खड़े हैं तनतनाते!

ज्येष्ठश्री नैऋत्य के गण

मंजरीयाँ लहरहाते!!

 

कुल सकल तीरथ...

दरस करने कहो क्या आ गये हैं!

जान पड़ता तीर्थसंगम में अमावस-

पूर्वसंध्या को स्वयं शिव आ गये हैं!!

 • अमित राजपूत