आई हैं रंगतें, जब
से तुम हो मिले!
कुछ नए गुल खिले, कुछ नए दिल मिले!!
वक़्त बदला नज़र, आ रहा है ख़ुला!
स्वाद ममता का है, चंद्रिका सा घुला!!
हमने देखे बहुत हैं, जी कौतुक मगर...
क्या ग़ज़ब ढा रहे हैं, नए सिलसिले...
कुछ नए गुल खिले, कुछ नए दिल मिले।
आई हैं रंगतें...(१)
हैं नज़ारें क़सम से, मिज़ाज-ए-सुखन!
आते प्राणों में भी प्राण, ऐसी छुअन!!
तेरी नज़रों में देखा है, मैंने जिन्हें...
हैं रक़ीबा वो कितनों के, दिल हैं जले...
कुछ नए गुल खिले, कुछ नए दिल मिले।
आई हैं रंगतें...(२)
मैंने पाई है भावज, मेरा भाग्य है,
वात्सल्यों की पावस का, सौभाग्य है!
है अमित प्रेम करती, वो जग से भला,
मन में करुणा है उसके, वो ऐसी कला!!
हैं वो पापी अभागे, मनुज देव सब,
जिनके मन में बसे हैं, गिले ही गिले...
कुछ नए गुल खिले, कुछ नए दिल मिले।
आई हैं रंगतें...(३)