Sunday, 19 November 2023

रंगतें...


आई हैं रंगतें, जब से तुम हो मिले!

कुछ नए गुल खिले, कुछ नए दिल मिले!!

 

वक़्त बदला नज़र, आ रहा है ख़ुला!

स्वाद ममता का है, चंद्रिका सा घुला!!

हमने देखे बहुत हैं, जी कौतुक मगर...

क्या ग़ज़ब ढा रहे हैं, नए सिलसिले...

कुछ नए गुल खिले, कुछ नए दिल मिले।

आई हैं रंगतें...(१)

 

हैं नज़ारें क़सम से, मिज़ाज-ए-सुखन!

आते प्राणों में भी प्राण, ऐसी छुअन!!

तेरी नज़रों में देखा है, मैंने जिन्हें...

हैं रक़ीबा वो कितनों के, दिल हैं जले...

कुछ नए गुल खिले, कुछ नए दिल मिले।

आई हैं रंगतें...(२)

 

मैंने पाई है भावज, मेरा भाग्य है,

वात्सल्यों की पावस का, सौभाग्य है!

है अमित प्रेम करती, वो जग से भला,

मन में करुणा है उसके, वो ऐसी कला!!

हैं वो पापी अभागे, मनुज देव सब,

जिनके मन में बसे हैं, गिले ही गिले...

कुछ नए गुल खिले, कुछ नए दिल मिले।

आई हैं रंगतें...(३)

Tuesday, 7 November 2023

मोर सखा...

अवध-भूमि के स्वच्छ-गगन में,

इक बाल हँसा, इक़बाल हँसा!

रमामाई मय एकदशी को,

जन्मलिया था मोर सखा!!

 

ले वैशेषिक की परादृष्टि,

स्नेहिल-तुषार की शुभ्र-वृष्टि!

जिसके जन्मे से धन्य सृष्टि,

मुझे अतिप्रिय है वो, लो स्पष्टि!!

 

वो सामवेद का साक्षी है,

विद्याश्री-युत् उसकी आभा!

रमापुत्र चिक्लीत वही,

वो देवसखा-सा गांभीर्य!!

 

रेशू उस देह विराजी है,

वो वाम अंग सौभाग्यी है!

दक्षिण में उसके अमित शक्ति,

हृदयस्थल पर निश्चल भक्ति!!

 

वो लगता सबका हमदम सा,

उद्देश्य में जैसे कर्दम सा!

वो तेजेश्वर है जातवेद,

औ यदा-कदा मेरे श्रीप्रदा!!

 

वो तिग्म-अंशु लावण्यपूर्ण,

सिर पर इक जटा निराली है!

काम-क्रोध-मद-लोभ विजयी,

वो शिव का जैसे आली है!!

 

वो तूबा है हर संगत की,

पारद-समान गुण रंगत की!

वो स्वर्ण-भस्म जाँचा-परखा,

जन्म लिया था मोर सखा!!

 

हाँ, अवध-भूमि के स्वच्छ-गगन में,

इक बाल हँसा, इक़बाल हँसा!

रमामाई मय एकदशी को,

जन्मलिया था मोर सखा!!