बसंत ऋतु चल रही है और हम हैं परदेश में। आज
सुबह दफ़्तर निकलने के लिए कॉलोनी से जैसे ही क़दम निकाले, गुनगुनी धूप ने अपने
चेहरे को बादल की ओट में छुपा लिया और बसंती छांव लिए कुछ फुहारें आकर मेरे चेहरे
को छूकर होठों तक आ पहुँचीं। ये बसंती फुहारे हैं, जिन्होने मेरा रास्ता रोक लिया
है शायद ये बताने के लिए कि ये चिन्तन और एहसासों की ऋतु है। लिहाजा मैं रुका और
मैने महसूस किया कि जैसे किसी ने मुझसे कुछ कहा हो। शायद ये बसंती फुहारे किसी का
संदेश लेकर आयी हैं। आज ही मुझे पता चला कि प्रकृतिक सरोकारो में प्रेम के ख़त
सिर्फ़ कबूतर ही नहीं लाया करते हैं। मेरा तो डाकिया ही निराला है.. ये बसंती
फुहार, जिससे मैं भीतर तक भीग गया हूँ।
आज तो घण्टे कटने से रहे। दफ़्तर में आज का
मिलने वाला पारिश्रमिक हराम होगा, क्योंकि मन तो मेरा मुझे मिले इस ख़त के भावों
में ही उलझा पड़ा है। मेरी प्रेमिका का ख़त। हाँ, मेरी प्रेमिका का ख़त। मेरी
प्रेमिका, जिसका एहसास मेरे क़स्बे के दक्षिणी छोर से शुरू होता है और मेरे मन से
होकर कहीं मन के भीतर ही किसी अनन्त छोर पर ग़ुम हो जाता है। मेरी प्रेमिका, जिसके
साथ मैं बड़ा हुआ। मेरी प्रेमिका, जो मेरे छोटे होते कपड़ों का सनद है और जो मुझे
आज भी अपने वात्सल्य में समेट कर पेशेवराना झंझावत से दूर प्रेम और बस प्रेम का ही
एहसास कराती है। मेरी प्रेमिका, मेरे क़स्बे की मिट्टी।
ऐसी जाने कितनी बसंती फुहारों में हम मदमस्त होने
की जगह सुलगते ही रहे हैं एक-दूजे से मिलने को, एक-दूसरे के चंद दीदार को। लेकिन
इस बार सीमाओं के पार जाकर एक अदद आलिंगन की तमन्ना है। इसलिए आज का दफ़्तर जल्दी
ख़त्म कर राजधानी को छोड़ सीधे अपने क़स्बे का रुख़ करना है मुझे। इस बसंत को मैं
अपने जीवन के बेहतरीन लम्हों में संजो लेना चाहता हूँ। बसंत में दो रंग ही दिल को
सुकून देते हैं मुझे। पहला धानी और दूसरा भगवा। इसीलिए ख़्वाहिश है मेरी कि जब मैं
अपने क़स्बे पहुचूँ तो मेरी प्रेमिका धानी कुर्ते पर भगवा दुपट्टे की सरपरस्ती लिए
मेरे इंतज़ार में यादों की दीवार की ओट लिए खड़ी हो। हालांकि इस दफ़ा भी डर लगता
है कि जीवन के तमाम सरोकार को लिए मुझे उसके एक स्पर्श के बिना ही दिल्ली की
अंगारी परिकर पर सोने फिर से लौट आना पड़ेगा। कम्बख़्त कहूँ या ख़ास सखा मैं इन
शब्दों को, क्योंकि ये शब्द ही हमारा मिलन होते हैं हर बार और ये बसंती फुहार ही
हमारा समागम... उफ्फ!!
बहुत अच्छा लिखा है
ReplyDeleteकृप्या अपना ईमेल आईडे शेयर करें
शुक्रिया प्रणय जी...
Deleteamitrajpoot.ar@gmail.com