Saturday, 29 October 2016

डेंगू पर फटकार, स्वाइन फ्लू के लिए रहें तैयार

अमित राजपूत

बीते दिनों डेंगू के प्रकोप और इससे होने वाली मौतों व भावी स्थितियों के प्रति शिथिलता के चलते माननीय उच्च न्यायालय की फटकार ने प्रदेश सरकार और उसके सम्बन्धित अधिकारियों को शर्मसार कर दिया है। डेंगू की भयावहता पर कोर्ट का मिजाज़ इस क़दर गम्भीर हुआ कि मुख्य सचिव तक को तलब कर दिया गया। इसके चलते आनन-फानन में तमाम ज़रूरी क़दम उठाए गए हैं। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरुण सिन्हा ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर चार बीमारियों को महामारी घोषित करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है। इसमें डेंगू, चिकुनगुनिया, फाइलेरिया और मलेरिया को शामिल किया गया है। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार ने इसी वर्ष जून में इन बीमारियों को महामारी की श्रेणी में चिह्नित कर लिया था। ऐसे में सूबे की सरकार को चाहिए तो यह था कि वो इसे लेकर अपने प्रदेश में भी ध्यान देती लेकिन वह तो अपने सियासी झगड़ों में ही मसगूल रही। परिणाम यह हुआ कि इसके लिए न्यायालय को फटकार लगानी पड़ी और सरकार से पूछा गया कि सूबे में राष्ट्रपति शासन क्यूं न लगा दिया जाए।

यद्यपि सूबे के आला अफ़सरों ने न्यायालय के भय से डेंगू के लिए अपनी कमर कंस ली है, लेकिन उनकी कमर का यह बंधन लम्बे समय तक बंधे रहने की मियाद चाहता है क्योंकि डेंगू के बाद स्वाइन फ्लू अपनी दस्तक दे सकता है जिसके लिए इन्हें अभी से तैयार रहना होगा।

वास्तव में किसी भी बीमारी या महामारी से निपटने के लिए सरकार और सोसायटी पहले से कोई तैयारी नहीं करता है। सरकार की तैयारियों की बात करें तो वह यही बताती है कि हमने कितने करोड़ रुपए दवाईयों के भण्डारण और अन्य व्यवस्थाओं पर खर्च किए हैं। जबकि ज़मीनी सच्चाई यह है कि यदि सरकार इन बीमारियों पर अपने ख़र्च का एक तिहाई पैसा भी उन कारकों पर खर्च कर दे जिनसे ऐसे संक्रमण फैलते हैं तो काफी हद तक इन बीमारियों से बचा जा सकता है। इनमें नालियों का सुगम बहाव, उनके ढकने का समुचित प्रबंध, जल भराव, कूंड़े का रख-रखाव और तमाम रोज़मर्रा से जुड़ी चीज़ों की बेहतर का समायोजन शामिल है।

हल्के में ना लें स्वाइन फ्लू कोः

यह बीमारी मैक्सिको से शुरू होकर आज 45 से अधिक देशों में फैल चुकी है जबकि सन् 2009 तक  इसका संक्रमण 39 देशों तक था। स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए-टाईप के एन्फ्लुएंजा वायरस के कारण होती है। इसका वायरस ‘एच-1 एन-1’ के नाम से जाना जाता है।
भारत में सन् 2009, 2010, 2012, 2013 और 2015 के मामलों सहित अब तक राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और आन्ध्रप्रदेश इसकी चपेट में रहे हैं। पिछले साल उत्तर प्रदेश भी इसकी चपेट में था जिसमें कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था। स्वाइन फ्लू का मौसम दस्तक देने वाला है और मुसीबत बताकर नहीं आती है, ऐसे में सरकार और उनके अधिकारियों सहित लोगों को भी इस तकह के प्रयास अभी से ही शुरू कर देने चाहिए कि स्वाइन फ्लू पैलने ही न पाए।

ऐसे फैलता है स्वाइन फ्लूः

जब आप छींकते या खांसते हो तो हवा में या ज़मीन पर या फिर जिस भी सतह पर थूंक अथवा मुंह व नाक से निकले द्रव के कण गिरते हैं वह वायरस की चपेट में आ जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के ज़रिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन दरवाजे, फोन, मोबाइल, की-बोर्ड या रिमोट के ज़रिए भी इसके वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीज़ों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।
स्वाइन फ्लू के वायरस में चिड़ियों, सुअरों और इंसानों में पाया जाने वाला जेनेटिक मटेरियल भी होता है। वास्तव में पीसीआर परीक्षण के बाद ही यह पता चलता है कि किसी को स्वाइन फ्लू है। लक्षण का पता चलने के 48 घण्टे के भीतर इसका इलाज शुरू हो जाना चाहिए क्योंकि एच-1 एन-1 वायरस स्टील व प्लास्टिक में 24 से 48 घण्टे, पेपर व कपड़ों में 08 घण्टे, हाथों में 30 मिनट और टिश्यू पेपर में 15 मिनट तक सक्रिय रहते हैं। इन्हें ख़त्म करने के लिए डिटर्जेण्ट, एल्कॉहॉल, ब्लीच या साबुन का उपयोग कर सकते हैं। लक्षण दिखने के 48 घण्टे पहले से लेकर आठ दिन बाद तक इसके ट्रांसमिशन का ख़तरा बना रहता है।

जब महामारी बन बैठा स्वाइन फ्लूः

1976 और 1988- अमेरिका
2007- फिलीपीन्स
2009- उत्तरी आयरलैण्ड
2015- भारत और नेपाल
2016- पाकिस्तान

स्वाइन फ्लू न फैले इसके लिए ध्यान दें कि-

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों ने कुछ विशिष्‍ट उपाय अपनाने की सलाह दी है जैसे कि कफ़ पैदा करने वाले भोजन से परहेज करना आदि। केन्‍द्रीय यूनानी चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरयूएम) ने यूनानी विशेषज्ञों के साथ विस्‍तार से परामर्श किया है और कुछ निवारणात्‍मक उपाय जैसे काढ़ेचायअर्कविशिष्‍ट यौगिक सूत्रों का उपयोग करनेविशेष प्रकार के ‘रोगन’ स्‍थानीय रूप से लगाने तथा हल्‍का भोजन एवं व्‍यक्तिगत स्‍वच्‍छता बनाए रखने की सलाह दी है। हर दिन आप इन सामान्य सी लगने वाली बातों की तरफ़ ध्यान देकर इससे बच सकते हैं। जैसे-
इधर-उधर कचरा नहीं फैलाना चाहिए और अपने आसपास सुगन्धित व स्वच्छ वातावरण बनाकर रखना चाहिए।
सरकारों द्वारा समय-समय पर मानसून बदलने के साथ हवा की जांच कर उसके अनुसार रहने के निर्देश ज़ारी किए जाने चाहिए।
नालियों का पानी राके नहीं, उसे लगातार बहने दें और नाली को ढक कर रखना चाहिए।
पूरे कपड़े पहनकर ही घर से बाहर निकलना चाहिए।
खांसी या छींक आने पर रुमाल अथवा टिश्यू पेपर का प्रयोग करना चाहिए।
इस्तेमाल किए गए मास्क या पेपर को ढक्कन बंद डस्टबिन में ही डालना चाहिए।
अपने शरीर की साफ़-सफ़ाई का ख़ुद से ही ध्यान दें और हाइजेनिक रहने का प्रयास करना चाहिए।
थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ को साबुन और पानी से धोते रहना चाहिए।
गंदगी वाले इलाक़ों को साफ़ किया जाना चाहिए और वहां विशेष सावधानी के साथ निश्चित समय पर दवाओं के छिड़काव पर ध्यान देते रहना चाहए।
मृत पशु-पक्षियों को खुली हवा में कभी नहीं फेकना चाहिए।
मांस खाने में सावधानी बरतें और ख़ास तौर पर पोर्क (सुअर का मांस) को नज़रअंदाज़ करना चाहिए।
लोगों से मिलने पर हाथ मिलाने, गले मिलने और चूमने से बचना चाहिए।
गंदे हाथों से आंख, कान या मुंह कभी नहीं छूना चाहिए।
रोगों से बचने के लिए खान-पान का रखें विशेष ख्यालः
प्रातः काल उठें। योग और प्राणायाम को अपनाएं। रात में जल्दी सो जाएं और पूरी नींद लें।
सुबह भारी नाश्ता करें और रात में तरल पदार्थों का सेवन करें।
घर का ताज़ा बना खाना ही खाएं और पानी का अधिक उपयोग करें।
ताज़ें फल और हरी सब्जियों का सेवन करें।
सभी प्रकार की दालों का सेवन कीजिए।
दिनभर भिन्न-भिन्न तापमानों में रहने से बचें।
नींबू-पानी, सोडा, शर्बत, दूध, चाय, जूस, मट्ठा और दूध आदि सभी का सेवन करते रहें।
देर तक फ्रीज़ पर रखी चीज़ों और बाहर के खाने से बचें।

कुछ यूं सालभर बना रहता है बीमारी का चक्रः

पीलिया- हैजा- खसरा-चिकनपॉक्स-मलेरिया-टायफाइड- डेंगू-चिकुनगुनिया-फाइलेरिया-स्वाइन फ्लू।  



उत्तर प्रदेशः स्थापना

अमित राजपूत


आने वाले 01 नवम्बर को उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस मनाया जाएगा। अधिकारित तौर पर इसकी स्थापना 01 नवम्बर, 1956 ई. को मानी जाती है। लेकिन इससे पहले इसे उत्तर प्रदेश यूनाइटेड प्रॉविंस के नाम से जाना जाता रहा है। सन् 1902 में नॉर्थ वेस्ट प्रॉविंस का नाम बदलकर यूनाइटेड प्रॉविन्स ऑफ़ आगरा एण्ड अवध कर दिया गया। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे यूपी कहा गया। 1920 में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से लखनऊ कर दिया गया। सन् 1950 में जब नया संविधान लागू हुआ तो उसी के साथ ही 12 जनवरी 1950 को इस संयुक्त प्रान्त का नाम उत्तर प्रदेश कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश का ज्ञात इतिहास लगभग 4000 साल पुराना है, जब आर्यों ने अपना पहला क़दम इस जगह पर रखा। इस समय वैदिक सभ्यता का प्रारम्भ हुआ और उत्तर प्रदेश में इसका जन्म हुआ। आर्यों का फ़ैलाव सिन्धु नदी और सतलुज के मैदानी भागों से यमुना और गंगा के मैदानी क्षेत्र की ओर हुआ। आर्यों ने दो-आब (यमुना और गंगा का मैदानी भाग) और घाघरा नदी क्षेत्र को अपना घर बनाया।
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। ये 2,38,566  वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल मे फैला हुआ है जो मुख्यतः अवधबघेलखंडब्रजबुंदेलखंड, पूर्वांचलरोहिलखंड व गांगेय क्षेत्रों में बंटा है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। इसके पड़ोसी राज्य उत्तराखण्डहिमांचल प्रदेशहरियाणादिल्लीराजस्थानमध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार हैं। उत्तर प्रदेश की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है।

लगभग 20 करोड़ की जनसंख्या के साथ उत्तर प्रदेश केवल भारत का अधिकतम जनसंख्या वाला प्रदेश ही नहीं बल्कि विश्व की सर्वाधिक आबादी वाली उप राष्ट्रीय इकाई है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि विश्व में केवल पाँच देश चीन, संयुक्त राज्य अमेरिकाइंडोनिशिया, ब्राज़ील और स्वयं भारत की जनसंख्या ही उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। वास्तव में समूचे ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप की जनसंख्या भी उत्तर प्रदेश के बराबर नहीं है। कानपुर इस प्रदेश का सबसे बड़ा महानगर है।
साक्षरता- 69.72%
लिंगानुपात- 908/1000
भाषा- हिन्दी, उर्दू
राजकीय पक्षी- सारस या क्रौँच
राजकीय पेड़- अशोक
राजकीय पुष्प- पलाश
राजकीय चिन्ह- मछली एवँ तीर कमान
उच्च न्यायालय- इलाहाबाद (खण्डपीठ- लखनऊ)
लोकसभा सदस्योँ की संख्या- 80
राज्यसभा सदस्योँ की संख्या- 31
सदन व्यवस्था- द्विसदनीय (विधान सभा व विधान परिषद)।


Monday, 24 October 2016

काटजू नैं, ईं हैं असली इलाहाबादी बकैत

अमित राजपूत




बकैती की सबकी अपनी अलग-अलग परिभाएं हैं, लेकिन इलाहाबादी बकैती की बात ही निराली है। आपने अक्सर कई इलाहाबादी बकइतों के बारे में सुना भी होगा। दरअसल इलाहाबाद शहर अपनी बकइती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर रहा है। प्रो. एएन झा, भगवती चरण वर्मा, डॉ. हरिवंश राय बच्चन, फिराक़ गोरखपुरी, रवीन्द्र कालीया और दूधनाथ सिंह जैसे महान बकइत इलाहाबाद से निकले हैं।
दरअसल इलाहाबाद को देश की बौद्धिक राजधानी के तौर पर जाना जाता है और इन बौद्धिक लोगों के कारनामों से पूरी दुनिया में इनके परचम को ही हम इलाहाबादी बकइती कहते हैं।
हाल ही में ‘यश भारती’ पुरस्कार की घोषणा हुई है। इनमें तीन इलाहाबादियों के चर्चे ज़ोरों पर हैं। पुरस्कार पाने वालों की लम्बी फेहरिस्त में इन तीनों की एक साथ उपस्थिति ने तमाम इलाहाबादियों को ख़ुशी दे दी है। इससे सभी अन्य बकइत भी फूल कर कुप्पा हैं। एक हम भी।


पहला नाम योगेश मिश्र का है जो वेब पोर्टल न्यूज़ट्रैक  अपना भारत (साप्ताहिक) के एडीटर-इन-चीफ़ हैं। इन्होने सन् 1988 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग से डी-फ़िल की है। पेशे से 
योगेश मिश्र
पत्रकार हैं। 25 सालों से पत्रकारिता कर रहे हैं। श्री मिश्र को 2015 का मधु लिमये अवार्ड भी मिल चुका है। इन्होने अपनी लम्बी पत्रकारिता में दूरदर्शन, ई-टीवी, दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, नेशनल दुनिया, नई दुनिया और आउटलुक जैसे बड़े संस्थानों के साथ काम किया है। इसके अलावा जर्मन रेडियो और वॉयस ऑफ़ अमेरिका के लिए भी ये विशेष रिपोर्टिंग कर चुके हैं। श्री मिश्र की रचनाओं में समय पर, समय के सवाल, समय के संवाद, समय के आलेख, कशिश, खोज और जख़्म की शहादत शामिल हैं।

दीपराज राणा
 दूसरे, जाने-माने फ़िल्म अभिनेता दीपराज राणा हैं जो इलाहाबाद के अल्लापुर के रहने वाले हैं। ये अबी मुम्बई में रहते हैं। श्री राणा को आपने बेहद सफ़ल रही फिल्मों मंलग पाण्डेय, साथिया, साहेब बावी और गैंगस्टर, घोष्ट, चक्रव्यूह, साहेब बावी और गैंगस्टर रिटर्न्स, लूट, बुलेट राजा, गुण्डे, सिंघम रिटर्नस, क्रिएचरःथ्रीडी, प्रेम रतन धन पायो और 31 अक्टूबर में अभिनय का लोहा मनवाते देखा होगा। वो कहते हैं “मैं ठेठ इलाहाबादी हूं और उत्ते ठेठ बकइत भी।” ज़ाहिर है श्री राणा को उसी बकइता का नज़राना ‘यश भारती’ के रूप में मिला है। ये स्वभाव से बहुत ही मीठे और मिलनसार हैं। श्री राणा इलाहाबाद के एक विशेष पात्र पर केन्द्रित फ़िल्म बनाने जा रहे हैं जिसके बारे में उन्होने अभी खुलासा करने से मना किया है। इस फ़िल्म को उनकी पत्नी जानी-मानी टीवी एक्ट्रेस नताशा प्रोड्यूस कर रही हैं।

मणेन्द्र मिश्र 'मशाल'
तीसरा सबसे युवा नाम मणेन्द्र मिश्र ‘मशाल’ का है जो समाजवादी चिन्तक के तौर पर जाने जाते हैं और उत्तर प्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष श्री माता प्रसाद पाण्डेय के मीडिया प्रभारी हैं। श्री मिश्र ने
इलाहाबाद 
विश्वविद्यालय के एन्थोपोलॉजी विभाग से एमएससीगणित से बीएससी पढ़ाई की है। इसके अलावा यहीं से जर्मन एवं मानवाधिकार में डिप्लोमा प्राप्त किया है। इन्होने पत्रकारिता के मक्का कहे जाने वाले भारतीय जनसंचार संस्थान से हिन्दी पत्रकारित में प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है। इन्होने समाजवादी मॉडल के युवा ध्वजवाहकःअखिलेशसमाजवादी स्तम्भलोहिया और युवजनभाषा का सवाल और डॉ. लोहियाछोटे लोहिया जनेश्वरसमाजवाद के अनुगामी और सीमान्त लोहियाःबृजभषण पुस्तकें लिखी हैं।





Saturday, 22 October 2016

बग़दादी की 'कुण्डली'

•  अमित राजपूत

ईराक़ के समारा के पास 28 जुलाई 1971 में जन्मा अबू बकर अल- बग़दादीइस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ और लेवांत के नाम से कुख्यात इस सुन्नी आतंकवादी जिहादी संगठन का चीफ़ था, जो पश्चिमी इराक़ क्षेत्र, सीरिया, लीबिया और अफ़गानिस्तान के क्षेत्रों को अपने आतंक से नियंत्रित करता रहा। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इसके जिहादी समूह को एक आतंकवादी संगठन के रूप में घोषित कर दिया गया था।अबू उमर अल-बग़दादी की मौत के बाद 16 मई, 2010 में वह आईएस का चीफ़ बना।
जून, 2014 में मजलिस अल-शुरा (एक धार्मिक सलाहकार विधानसभा) ने उसे अहलाल-हल्ल-वल-अक़्द में प्रतिनिधि के रूप में इस्लामिक स्टेट का ख़लीफा चुना। इस पद के लिए उसने दावा किया था। वहाँ ग्यारह लोगों में से नौ लोगों ने बग़दादी के पक्ष में मतदान किये।
नामी बग़दादी
•इब्राहीम अवाद इब्राहीम अल-बद्री नाम था जन्म के समय।
•अपने समर्थकों के बीच वह अमीर-उल-मोमिनीन, ख़लीफा अबू बकर, ख़लीफा अल-बग़दादी और ख़लीफा इब्राहीम के रूप में जाना जाता था।
•इसके अलावा अबू दुआ, शेख बग़दादी, अबू बकर अल-बग़दादी, अबू बकर अल-हुसैनी, अबू बकर अल-हाशमी, अबू बकर अल-क़ुरैशी,डॉ. इब्राहीम अवाद और इब्राहीम अली अल-बद्री अल-समाराई के रूप में भी वह जाना गया।
•उसके उपनाम बग़दादी के पीछे का रहस्य ईराक़ से जुड़ा हुआ है जो यह बताता है कि वह ईराक़ के बग़दाद शहर से आता है। उपनाम बग़दादी जोड़ने के पीछे उसका कारण यह था कि वह आईएसआईएल के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में एक औपचारिक पते के रूप में इसका इस्तेमाल कर सके, सभी जगह इस्लाम का विस्तार कर सके और सबको बता सके कि वह महान था ताक़ि लोग उसका अनुसरण करें। हालांकि बग़दाद उसके आतंक से इतर विश्व का एक प्रमुख नगर एवं ईराक़ की राजधानी है। इसका नाम 600 ई.पू. बाबिल के राजा भागदत्त के मान पर पड़ा है। मेसोपोटामिया के उपजाऊ भाग में स्थित बग़दाद वास्तव में शांति और समृद्धि का केंद्र था। रेशमी वस्त्र एवं विशाल खपरैल के भवनों के लिए प्रसिद्ध बग़दाद इस्लाम धर्म का केंद्र रहा है।
ईनामी बग़दादी
•एक अमेरिकी नागरिक जिसकी बाद में मृत्यु हो गई थी उसका अपहरण कर बंधक बनाकर रखने और बार-बार बलात्कार करने के संगीन जुर्म के लिए अल-बग़दादी अमेरिका का एक ख़ास अभियुक्त रहा है।
•04 अक्टूबर,2011 को यूएस स्टेट डिपार्टमेण्ट ने बग़दादी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेष आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध कर लिया और उसे सबसे पहले ज़िन्दा या मुर्दा पकड़कर सौपने वाले के लिएएक करोड़ डॉलर (करीब 67 करोड़ रुपये) के पुरस्कार की घोषणा कर दी।अल-कायदा के आतंकी आयमन अल-ज़वाहिरी के बाद बग़दादी दुनिया का सबसे बड़ा ईनामी आतंकी था। अल-ज़वाहिरी केपकड़े जाने या मौत पर 25 मिलियन यूएस डॉलर का ईनाम है।
तस्वीर दोः
जी हां, आप दुनिया के चाहे किसी भी कोने में रहते हों, यदि आपके पास किसी भी माध्यम से बग़दादी की कुछ तस्वीरें हैं तो आप उन्हें  दुनिया के किसी भी विश्वसनीय मीडिया अथवा सक्षम विभाग को  सौंप सकते हैं क्योंकि आतंकी ओसामा बिन लादेन और आयमन अल जवाहिरी के विपरीत बग़दादी की सिर्फ़ दो ही तस्वीरें दुनिया के सामने है।
जहां बग़दादी के नामों की झड़ी से उसकी पहचान में दिक्क़त होती रही है वैसे ही उसकी तस्वीरें न होने से भी अब तक दिक्क़ते बनी रही हैं।
फुलबॉलर बग़दादीः
बेहतरीन तैराक़ के साथ बग़दादी एक फुटबॉल खिलाड़ी भी था। एक समय था जब बग़दादी को उसकी मस्ज़िद का बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी माना जाता था। वह एक प्रभावशाली स्ट्राइकर के रूप में मैदान मेंउतरता था।बग़दादी का साथी खिलाड़ी और मस्ज़िद का साथी नमाज़ी अबु अली कहता है कि हमारी टीम का मेस्सी था बग़दादी
शिक्षाः
∙बग़दाद में रहकर उसने अपने शुरूआती दिन गुजारे। स्नातक और परास्नातक की शिक्षा प्राप्त की और अंततः इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ़ बग़दाद से उसने शरीयत क़ानून में पीएचडी की उपाधि धारण की।
∙उसने इज़राइल की टेल अवीव यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। यहां डिबेटिंग सोसायटी का वाइस कैप्टन भी रहा और स्टूडेण्ट न्यूज़पेपर के लिए लिखता रहा।
इस्लामिक स्टेट और बग़दादीः
∙बग़दादी ने इस्लामिक स्टेट की ताक़त से सबसे पहले सीरिया के तेल के कुँओं पर अपना कब्जा जमाकर संगठन की रीढ़ को मज़बूत बनाया।
∙हर महीने औसतन 1000 युवाओं की भर्ती करता था, जिनमें से 50-60 फ़ियादीन तैयार करता था।
∙भर्ती होने वाले युवा अधिकतर ईराक़ से बाहर के देशों से होते थे। इनमें ब्रिटेन सहित सौ से अधिक देशों के युवा शामिल थे।
∙तेल के कुँओं के इतर अपहरण और स्मगलिंग जैसे धंधे थे उसके आय के स्रोत। ये सब वह आईएस के बलबूते पर ही करता था।
इश्क और हरमः
∙सन् 1991 में अपने बचपन के प्यार ज़ो नाम की एक ईसाई लड़की से रचाया विवाह। जैक, और जुड़वा लूसी व अबू जूनियर कुल तीन बच्चे हुए इससे।
∙ईराक़ी महिला सुजीदा अल-दुलाईमी और बग़दादी के बीच का प्रेम बहुत विवादों में रहा। दोनो ऑनलाईन मिले थे। वो अल-बग़दादी से उम्र में बहुत छोटी थी। सुजीदा जिहादी लोगों को पसंद करती थी। उसका पहला पति भी एक जिहादी था।
∙ईराक़ सरकार के एक मंत्रालय के अनुसार बग़दादी को दो पत्नियां और थीं, जिनके नाम असमा फ़ाउज़ी मोहम्मद अल-दुलाइमी और इसरा रजब महल-ए-क़ैसी थे।
∙तमाम मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बग़दादी ने एक नाबालिक जर्मन लड़की डायने क्रूगर से 28 फ़रवरी, 2016 में विवाह रचाया था।
बग़दादी के बारे में कुछ रोचक बातें
1.     29 जून,2014 को ख़ुद से ही कर लिया था अपने को ख़लीफा घोषित।
2.     18 साल की उम्र में एक प्रशिक्षु के तौर पर आईएस से जुड़ा और 38 साल की उम्र में इसका सबसे युवा नेता बना।
3.     2014 में फो‌र्ब्स ने दुनिया के सर्वाधिक ताक़तवर सौ लोगों की सूची में जगह दी।
4.     ट्वीटर के शुरुआती दिनों में बग़दादी ने इस सोशल नेटवर्किंग टूल में अपना पैसा लगया था और माना जाता है कि सन् 2012 तक जब ट्वीटर पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुका था बग़दादी ने इससे लगभग 11 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई कर ली थी।
5.     समारा में उसके मां-बाप जैनिस व माइकलअल-बग़दादी का ड्राई-क्लीनिंग का बिज़नेस था।
6.     कट्टर विचारधारा के हिमायती होते हुए भी उसने आईएस के युवाओं के लिए सिनेमा हॉल, बार, और जकूजी (नहाने के टब) जैसी भव्य सुविधाओं का इंतज़ाम कर रखा था।
7.     बचपन से ही डिस्को का शौक़ीन था बग़दादी। सन् 1986 में मात्र 15 साल की उम्र में ही वह अपनेस्कूल की गर्लफ़्रेण्ड ट्रेसी बिंग़म के साथ गया था डिस्को।
8.     इस्लामिक स्टेट की सीमा को बढ़ाकर वह इसे गल्फ़ देशों, जॉर्डन, फिलिस्तीन, तुर्की और स्पेन के इबीज़ा आईलैण्ड तक ले जाना चाहता था।
9.     सन् 2004 तक पिछले दस सालों से वह बग़दाद के एक इलाक़े में एक छोटी मस्ज़िद से सटे जर्जर और संकरे कमरे में रहता रहा।
10. ओसामा बिन लादेन से प्रभावित रहता था बग़दादी और उसकी मौत के बाद वह एक शर्मीले इन्सान से अप्रभावी, हिंसक और दुनिया का एक कुख्यात ख़तरनाक उग्रवादी बन गया।