Friday, 20 July 2018

आप जैसी हो वैसी रहो...


• अमित राजपूत 

आप जैसी हो वैसी रहो-2
यूँ ही ख़ुद में मचलती रहो-2
आप जैसी हो वैसी रहो-2

हम तो कर जायेंगे
दिन गुजर जायेंगे
जो भी है वो सहती रहो...
आप जैसी हो वैसी रहो-2

तुम ही सोचो ज़रा क्या ही कर पायेंगे
बिन तुम्हारे भला कितना चल पायेंगे-2
उठ खड़ी हो मेरी, हमनवा...
तुम भी मेरे संग-संग चलो...
आप जैसी हो वैसी रहो-2
यूँ ही ख़ुद में मचलती रहो-2
आप जैसी हो वैसी रहो।

हम तो कर जायेंगे
दिन गुजर जायेंगे
जो भी है वो सहती रहो...
आप जैसी हो वैसी रहो-2

वक़्त की जेल का मैं हूँ क़ैदी मगर
ताप से बेड़ियाँ भी पिघल जायेंगी-2
बनके आँधी तो देखो, नाज़नीन...
फिर सदा यूँ ही उड़ती रहो...
आप जैसी हो वैसी रहो-2
यूँ ही ख़ुद में मचलती रहो-2
आप जैसी हो वैसी रहो।

हम तो कर जायेंगे
दिन गुजर जायेंगे
जो भी है वो सहती रहो...
आप जैसी हो वैसी रहो-2

कितनी मासूम हो तुम, तुम्हारी ख़ता
इश्क़ में जो डुबाकर भुलाया पता-2
है पता तुमको कितना, बाख़ुदा...
अब ज़रा कुछ तो इजरा करो...
आप जैसी हो वैसी रहो-2
यूँ ही ख़ुद में मचलती रहो-2
आप जैसी हो वैसी रहो-2

हम तो कर जायेंगे
दिन गुजर जायेंगे
जो भी है वो सहती रहो...
आप जैसी हो वैसी रहो-2

Monday, 16 July 2018

मैंने इन्द्रधनुष देखा है।

अमित राजपूत


टरो जर से
चलो...
यही प्रक्रिया है।
इकरंगे सादे पर्दों को हटाओ
खिड़कियाँ खोल दो
रोशनी के लिए
मानसून है
जीवन
जहाँ रंग खिले हैं
उसे देखो
इधर-उधर नहीं,
लक्ष्य साधो
ईशान में
मैंने इन्द्रधनुष देखा है।

Monday, 9 July 2018

माँ की कृति...



रेखा, रंग, ध्वनि, ख़ुशबू औ धर्म की अभिव्यक्ति
बेतरतीबी से दूर निरा.. सुगठित सी कृति,
चुपर-चुपर स्नेह से दुलार जो बनाया मुझे
डरता हूँ रोज़ माँ, कोई करे न आसक्ति।


Thursday, 5 July 2018

मासूमियत...



मासूमियत जो ओढ़ी उसने तो हम फ़िदा हुये,
ग़र पलटकर जो ओढ़ी हमने.. तो जुदा हुये।


दफ़्तर...



जीवन न जिया कोई... न किया कोई जोग,
उजड़ जाते हैं बैठकर दफ़्तरों में, ताउम्र लोग।