Monday, 9 July 2018

माँ की कृति...



रेखा, रंग, ध्वनि, ख़ुशबू औ धर्म की अभिव्यक्ति
बेतरतीबी से दूर निरा.. सुगठित सी कृति,
चुपर-चुपर स्नेह से दुलार जो बनाया मुझे
डरता हूँ रोज़ माँ, कोई करे न आसक्ति।


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