हुस्न-ए-साक़ी के अलावा, अच्छा क्या है
बज़्म से दूर चला जा, याँ रक्खा क्या है
थक गया हूँ पीते-पीते, जाम मय-कदों के मैं
महबूब के लब से कोई जाम अच्छा क्या है
टूटकर अपने को चाहा ही नहीं जब
ज़िन्दगी से फिर तेरा रिश्ता क्या है
जब तिरा अक्स उभरता ही नहीं
तो आइने में तिरा चेहरा क्या है
जब मेरे ख़्वाबों में तू आती ही नहीं
फिर मेरी आँखों में ये सपना क्या है
तुन्द लहजे से बात करते हो क्यों
बात में नरमी नहीं, तो लहजा क्या है
जब हवा आती नहीं घर में तिरे
फिर तिरी दीवार में रख़ना क्या है
ज़ीस्त में इंसान के तूफ़ान होना चाहिए
बिन तलातुम मौजों का बहना क्या है
-अमित राजपूत
Great amit ji.... 😎 apki hatho se likhe Har ek chij ache hi hote isme khne ki koi bat nh h... 🙂 jaise aapke hatho me sakshat swarswati devi birajman hai...🪕🎻aise hi aap desh ko apni kabitao Gazlo or khani se khus krte rho yehi Dua Hai mere rab se....🙏 aapke ware khne ko to bhut kuch hai lekin sthan km pad jayege😌... God bless u aap isee trh tarkki krte rhe hum aapke sath hai..😊🤗
ReplyDeleteThank you so much dear Pratibha ji.❤️🙏
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