ज़िन्दगी की बदलती चाल-ढाल को देखते हुए और विकास की ओर मुँह करके खड़े होने पर आज हमें लगभग सभी क्षेत्रों में कुछ बदलाव की गुञ्जाईश दिख रही है जोकि समस्त दशाओं की अनुकूलता का परिणाम ही है। यही कारण है कि हम आज शहर सहित तमाम क्षेत्रों के स्मार्ट बनने की बात करते हैं। इसी स्मार्टनेस की ओर बढ़ने के एक क़दम में डिजिटलाईजेशन का भी पड़ाव आता है। इस दिशा में विशेष रूप से मौजूदा सरकार ने कई महत्वपूर्ण और आवश्यक क़दम भी बढ़ाए हैं। जहाँ आज हम ई-टिकटिंग, ई-कॉमर्स और ई-बैंकिंग जैसी तमाम डिजिटल सेवाओं का लाभ ले भी रहे हैं, जहाँ अब गांव-गांव में इण्टरनेट की पहुँच को आसान बनाने के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबिल बिछाई जा रही हैं, जो कहीं न कहीं मौजूदा सरकार की डिजिटल सोच और उस ओर बढ़ाए गए आवश्यक क़दम के परिणाम हैं। वहीं अब इस दिशा में हम स्वास्थ्य-क्षेत्र में भी ई-हॉस्पिटल का नाम सुन रहे हैं।
ई-हॉस्पिटल अस्पताल और मरीजों से सम्बंधित
समस्त छोटी-बड़ी सुविधाओं, प्रबंधन और उनके प्रशासन को सरल, सुगम, अधिक सुविधाजनक
एवं उसकी बेहतरी के लिए बनाई गई एक स्वचालित प्रणाली है जो हेल्थ मैनेजमेण्ट इन्फ़ॉर्मेशन
सिस्टम (HMIS) और HL7 डेवेलपमेण्ट फ़्रेमवर्क पर आधारित है। HL7
हेल्थकेयर सिस्टम और मेडिकल डिवाइसों में बाधआरहित अन्तरकार्यकारी
कार्यों को निष्पादित करता है, यानी ये तमाम अस्पतालोंओं के मध्य परस्पर निर्बाध
डाटा स्थानान्तरण का काम सुगमता से करता है। इसे सरकार की डिजिटल इण्डिया योजना की
दिशा में भी एक महत्वपूर्ण क़दम माना जा रहा हैं। भारत-नीति के राष्ट्रीय संयोजक
अनूप काईपल्ली ने बताया कि ‘हमारे प्रधानमंत्री श्री
नरेन्द्र मोदी के बेहतर प्रशासन के लिए किये जा रहे प्रयासों को आगे बढाने में
ई-हॉस्पिटल JAM (जनधन, आधार और मोबाईल)
के तहत एक महत्वपूर्ण पहल है, जो समाज के उन वंचित और
ज़रूरतमंदों के लिए एक क्रांतिकारी पहल है, जो अब तक
चिकित्सा के क्षेत्र में उसके सहज उपयोग के साधन न होने और उसकी जटिलता के कारण
गुणवत्तापरक चिकित्सकीय सुविधाएं लेने में असमर्थ रहे हैं।’
वास्तव में ई-हॉस्पिटल की शुरुआत, विकास और
इसका कार्यान्वयन अगरतला गवर्नमेण्ट मेडिकल कॉलेज और जीबीपी टीचिंग हॉस्पिटल-
त्रिपुरा में एनआईसी, त्रिपुरा स्टेट सेण्टर द्वारा सन् 2009 में हुआ। इसके बाद
एनआईसी के एक समूह ने इसकी और अधिक बेहतरी के लिए बाद में जमकर काम किया और
ई-गवर्नेन्स के माध्यम से इसके लिए एक किफ़ायती
एवं निःशुल्क नीति को तैयार किया, जिसमें हम e-hospital@nic
के नाम से जानते हैं। इसको बाद में लोगों से बहुत अच्छी
प्रतिक्रियाएं मिलीं जो आज भी बदस्तूर ज़ारी है क्योंकि ई-हॉस्पिटल के यूज़र
इण्टरफ़ेसों औऱ सूचनाओं को आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है।
जनसंख्या वृद्धि के बहुत अधिक दबाव होने से
बढ़े हुए कामकाज के भार को ई-हॉस्पिटल ने कम किया है, जिससे लोगों के कार्य-प्रवाह
में तेज़ी आयी है और उनको आसानी से स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ भी मिल रहा है। इसके
अलावा ई-हॉस्पिटल को उपयोग करने वाला जन अस्पताल की आवश्यकताओं और अन्य छोटी-मोटी
ज़रूरतों तक भी आसानी से पहुँच सकता है। ई-हॉस्पिटल की सेवाओं का लाभ प्राप्त चुके
दिव्यांशु बताते हैं कि ई-हॉस्पिटल प्रणाली एक वरदान की तरह है। दिव्यांशु को
फ़ियोक्रोमो सायटोमा नाम की बीमारी थी, जिसका इलाज उन्होने ई-हॉस्पिटल के जरिए
कराया है। वह कहते हैं कि ‘मेरा ई-हॉस्पिटल की सेवा का
अनुभव बहुत ही अच्छा रहा है। इससे मैं बीमारी के दौरान होने वाले भारी तनाव और
अतिरिक्त परेशानियों से बच गया हूँ। इस सेवा के लाभ से किसी मरीज के साथ लगने वाले
लगभग किसी तीमारदार की काफी हद तक ज़रूरत कम हुई है और स्वयं मरीज को भी आवाजाही
से छुटकारा मिल गया है। मुझे अपने ट्रीटमेण्ट के दौरान तमाम काग़जातों को संभालने
के लिए कोई रिस्क नहीं था, क्योंकि इससे पहल मेरे साथ पिछले कई मामलों में ऐसा भी
हुआ है कि कई बार अस्पतालों से हमें मिलने वाले पर्चे पानी में धुलकर ख़राब हो गए,
वो सड़ गए तो कई बार उनको चूहों ने भी कुतर डाला था। लेकिन इस ई-ह़स्पिटल की सेवा को
पाकर मैं इस दफ़ा ऐसे तनावों और रिस्कों से भी दूर था। डॉक्टरों में भी मुझे ईलाज
के दौरान अतिरिक्त रोमांच देखने को मिला। मैं इस सेवा का लाभ लेकर बहुत अच्छा
महसूस कर रहा हूँ और लोगों को भी सलाह दूंगा कि लोग अधिक से अधिक इस सेवा का लाभ
लेकर अपना कीमती समय और पैसा दोनो बचाएं?’
वास्तव में ई-हॉस्पिटल एक वृहद संरचना में
तैयार की गयी प्रणाली है जो कुछ विशेष मूलभूत उपागमों के अतिरिक्त तमाम अतिरिक्त
सेवाओं से सम्बंधित उपागमों से सजा एक तंत्र है। मूलभूत उपागम सभी अस्पतालों में
अनिवार्य रूप से उपलब्ध होते हैं। इसमें सबसे पहले मरीजों के पंजीकरण और अस्पताल
में उनके अप्वाइंटमेण्ट से सम्बंधित सुविधाएं दी गयी है। इसके अन्तर्गत मरीज
पंजीकरण उसके समस्त ब्यौरों के साथ किया जाता है, जिससे मरीज को प्रशासनिक कार्यों
और देखरेख प्रक्रिया में सुगमता मिलती है।
दूसरा, वाह्य रोगी प्रबंधन की सुविधाओं के
अन्तर्गत भी मरीजों को चिकित्सकों की उपलब्धता की व्यवस्था की गयी है। इस मॉड्यूल
में सभी मरीजों और उनकी रोग-सम्बन्धी सूचनाएं त्वरित उपलब्ध होने से चिकित्सकों को
मरीजों की प्रशासनिक जानकारियां हासिल करने और उनकी देखभाल दोनों प्रक्रियाओं में
सुगमता होती है। इसके अलावा मूलभूत उपागम के अन्तर्गत ही मरीजों की दीर्घकालिक एवं
तत्कालिक सभी प्रकार की बिलिंग का भी निराकरण किया जाता है। इस मॉड्यूल में बिलिंग
प्रक्रियाओं के समस्त प्रकार जैसे- वाह्य-रोगी, अन्तरिक रोगी और रेफ़रल रोगियों को
भी सम्मिलित किया जाता है। इसके अन्तर्गत अस्पताल से सम्बंधित सभी भुगतान जैसे-
बेड चार्ज, लैब परीक्षण, औषधियां, चिकित्सकीय शुल्क, भोजन आदि के बिल शामिल जाते
हैं। इन सबके लिए भीड़-भाड़ की रेलमपेल से निजात पाने में ई-हॉस्पिटल बेहद उपयुक्त
है जो इन सबके अतिरिक्त धन और समय दोनो को भी बचाता है।
इसके अतिरिक्त सेवा सम्बंधी मूलभूत उपागम भी
ई-हॉस्पिटल की सेवाओं में शामिल हैं। इसके अन्तर्गत अस्पताल से सम्बंधित सभी
सुविधाओं और सेवाओं की व्यवस्था उपलब्ध हो जाती हैं। साथ ही सुरक्षा कार्य-प्रवाह
अथवा प्रयोगकर्ता प्रबंधन भी ई-हॉस्पिटल की सेवाओं से जुड़े अस्पतालों में हमें
मूलभूत रूप से मिल जाते हैं। इसका मुख्य काम अप्लीकेशन में उपलब्ध सूचनाओं की
पहुँच की सुरक्षा पर नियंत्रण करना है।
इन तमाम मौलिक उपागमों के अतिरिक्त कुछ
अतिरिक्त उपागम भी ई-हॉस्पिटल की सेवाओं से जुड़े हैं। यद्यपि सभी अस्पतालों में
समस्त सुविधाएं प्राप्त होती हैं, फिर भी ई-हॉस्पिटल की अतिरिक्त सुविधा यही है कि
यदि कोई सेवा जो आपको चाहिए आपके द्वारा पंजीकृत अस्पताल में उपलब्ध नहीं है तो
ई-हॉस्पिटल से जुड़े दूसरे अस्पताल से वह सेवा लेकर आपको उपलब्ध करा दी जाती है।
तो यह कहना कोई अतिशयोक्ति न होगी कि ई-हॉस्पिटल से स्वास्थ्य-तंत्र स्मार्ट बन
रहे हैं। फिर भी एक नज़र ई-हॉस्पिटल के द्वारा उपलब्ध अतिरिक्त उपागमों पर फेर
लेनी चाहिए।
सबसे पहले फ़ॉर्मेसी के अन्तर्गत सामान्य
कार्यप्रवाह और प्रशासनात्मक प्रबंधन का स्व-चालन होता है। औषधियों को मरीजों तक
पहुँचाने के लिए बार-कोड का प्रयोग होता है। प्रयोगशाला सूचना प्रणाली के तहत
सम्बन्धित डॉक्टर अपने अनुभाग से प्राप्त परीक्षण प्रस्ताव और उत्पादित परिणामों
को प्रेषित करता हैं। डॉक्टर ऑनलाईन प्रस्ताव के माध्यम से प्रयोगशाला कर्मचारी को
सम्बन्धित रिपोर्ट बनाने की सूचना देता है। इसके अंतर्गत बायोमेट्रिक, कोशा-विज्ञान
या साइटोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, न्यूरोलॉजी और रेडियोलॉजी आदि से सम्बंधित
परीक्षणों की व्यवस्था उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त रेडियोलॉजी प्रबंधन के अन्तर्गत
एक्स-रे, स्कैनिंग और अल्ट्रासाउण्ड आदि की सुविधाएं भी ई-हॉस्पिटल में दी जाती
हैं।
दूसरा, ई-हॉस्पिटल के उपागमों में इलेक्ट्रॉनिक
मेडिकल रिकॉर्ड (EMR) की भी अतिरिक्त व्यवस्था
है। यह पूर्ण रूप से समाकलित ज्ञान-कोष होता है जिसमें मरीज के क्लीनिकल रिकॉर्ड्स
और अन्य सम्बन्धित सूचनाएं सुरक्षित रहती है। इस पर सभी सम्बंधित अनुभागों से
प्राप्त सूचनाएं जैसे- चिकित्सकीय परीक्षण, निदान, निदान का इतिहास या पूरा ब्यौरा
और परीक्षण रिपोर्ट आदि उपलब्ध होती हैं। इसके अलावा आहार सम्बंधी मॉड्यूल भी
ई-हॉस्पिटल की अतिरिक्त सेवाओं का हिस्सा है। इस मॉड्यूल पर अस्पताल प्रबंधन
प्रणाली सॉफ्टवेयर में अस्पताल के रसोई घर से रोगी को दिए जाने वाले आहार की
रूपरेखा और उसकी मात्रा डाईटीशियन के निर्देशानुसार संग्रहीत रहती हैं। इसके साथ
ही हाउस कीपिंग यानी साफ़-सफ़ाई की भी बेहतर व्यवस्था होती है। इस मॉड्यूल के
अन्तर्गत अस्पताल के बेड, कमरों और अन्य सम्बन्धित कक्षों की साफ़-सफ़ाई से
सम्बन्धित सूचनाएं अस्पताल प्रबंधन प्रणाली सॉफ्टवेयर में संग्रहीत रहती हैं। साथ
ही यदि हम नर्सिंग मॉड्यूल की बात करें तो इसमें अस्पताल प्रबंधन प्रणाली
सॉफ्टवेयर में मरीज की देखरेख और उसकी गुणवत्ता को बढ़ाने सम्बन्धी सूचनाएं नर्सों
को नियमित रूप से प्राप्त होती रहती हैं।
ई-हॉस्पिटल में आपातकालीन प्रबंधन की भी
अतिरिक्त व्यवस्था की गयी है। आपातकालीन मॉड्यूल में अस्पताल प्रबंधन प्रणाली
सॉफ्टवेयर मरीज को अतिशीघ्र पंजीकरण कराने की सहूलियत देता है तथा मरीजों कों बहुत
सी विशेष पंजीकरण सूचनाएं यथा सांख्यिकी सूचनाएं आदि प्राप्त हो जाती हैं। इसमें
तमाम मशीनों और उपकरणों के रख-रखाव एवं रख-रखाव सम्बन्धी समय-सारणी की जानकारी
अस्पताल प्रबंधन प्रणाली सॉफ्टवेयर पर उपलब्ध होती हैं। इसके अलावा एक अत्यन्त
महत्वपूर्ण उपागम ई-हॉस्पिटल के अन्तर्गत आता है, और वह है CSSD यानी सेण्ट्रल स्टेरिल सप्लाई डिपार्टमेण्ट। ये मध्यम और बड़े अस्पतालों
हेतु एक अत्यंत महत्वपूर्ण उपागम है। कुछ देशों में तो ये उपागम अस्पताल लाइसेंस
प्राप्त करने हेतुअनिवार्य भी है। इसके अलावा पिक्चर आर्चीविंग एण्ड कम्युनिकेशन
सिस्टम (PACS) भी ई-हॉस्पिटल के गुणों को बढ़ाने का काम करता
है, जो एक मेडिकल इमेजिंग प्रौद्योगिकी है और इसमें हम किसी इमेज के तमाम रूपों पर
वृहद रूप से अध्ययन और उसका विश्लेषण कर सकते हैं।
ई-हॉस्पिटल के अतिरिक्त उपागमों में रक्त-कोष
की भी अच्छी व्यवस्था है, जिसके अन्तर्गत E-HMS पर
व्यापक रुप से रक्तदान देने वाले रक्तदाता एवं ग्राही की समस्त सूचनाएं संग्रहीत
रहती हैं। यहाँ वित्तीय लेख-जोखा की भी सुगम व्यवस्था है जिसके अन्तर्गत कैश, बैंक
रसीद, भुगतान, बाउचर व कैशबुक आदि से सम्बन्धित सूचनाएं संग्रहीत रहती है। साथ ही
इसमें बैलेंस-शीट और लाभ-हानि की भी जानकारियां उपलब्ध होती हैं।
ई-हॉस्पिटल के अन्तर्गत किसी भी अस्पताल की
निर्धारित या स्थिर सम्पत्ति का लेखा-जोखा भी आता है। यहाँ भुगतान रजिस्टर के
अन्दर सैलरी स्लिप की रसीद, कैल्कुलेशन और सैलरी के प्रमाण-पत्र आदि के विवरण की
भी पूरी जानकारी होती है। इसके अलावा ई-हॉस्पिटल के अन्दर मैनेजमेण्ट इनफ़ॉर्मेशन
सिस्टम यानी डैशबोर्ड की भी सुविधा पायी जाती है। इस मॉड्यूल में किसी अस्पताल
प्रबन्धन के अनुभागों से सम्बन्धित समस्त सूचनाएं उपलब्ध होती हैं, जिनका अस्पताल
के शीर्ष प्रबन्धन समूह द्वारा निरीक्षण किया जाता है। अर्थात् ई-हॉस्पिटल का
सम्पूर्ण जाल न सिर्फ़ एकहरा है जो मात्र मरीजों के लिए है बल्कि यह पूरी तरह से
एक विशाल-तंत्र हैं जिसके अन्तर्गत सम्पूर्ण अस्पताल प्रबन्धन और उसका पूरा
प्रशासन बल्कि यह भी कह सकते हैं कि कई अस्पतालों की श्रृंखला इसमें शामिल है। तो
निश्चित रूप से ई-हॉस्पिटल ने हमें स्वास्थ्य-क्षेत्र में स्मार्ट बनाया है जहाँ
हमें इससे जुड़ी तमाम सहूलियतें बड़ी आसानी से प्राप्त हो जाती हैं।
इसके अलावा नागरिकों के लिए स्वास्थ्य
मंत्रालय ने किलकारी, द रिवाइज़्ड नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम (RNTCP), मोबाइल एकेडमी और एम-सशेशन (M-Cessation) जैसी चार
महत्वपूर्ण योजनाएं भी हाल ही में घोषित की हैं, जो आईटी पर आधारित सेवाएं हैं।
यानी सरकार अपनी पूरी कोशिश कर रही है कि स्वास्थ्य-सेवाओं का तंत्र ज़्यादा से
ज़्यादा कैसे स्मार्ट बन सके।
मरीजो के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों की सुरक्षा का मुद्दाः
चूंकि क्लाउड कंप्यूटिंग आज के दौर का एक
महत्वपूर्ण डाटा संचरण माध्यम बन चुका है। सुगमता, उपयोगिता और परस्परानुकूलता के
कारण विभिन्न क्षेत्रों में इसका व्यापक पैमाने पर उपयोग हो रहा है। बहुत ही
महत्वपूर्ण सुविधाएं इसी सुविधा की वजह से ई-घेरे में आयी हैं। ई-हॉस्पिटल भी इन में से एक है जिसका पूरे विश्व
के कई देशों में व्यापक पैमाने पर उपयोग हो रहा है। यद्यपि परिणाम स्वरुप कार्य
प्रणाली में बदलाव होने से इसके कार्य प्रवाह में काफी तेज़ी आयी है, किन्तु
ई-हॉस्पिटल प्रणाली के अंतर्गत संचरित होने वाला स्वास्थ्य डाटा कई मामलों में
सुरक्षा दृष्टिकोणों से काफ़ी असुरक्षित भी है। विभिन्न प्रकार के साइबर क्राइम और
अन्य माध्यमों से इस स्वास्थ्य सूचना का ग़लत उपयोग भी हो सकता है। चूंकि संचरित
होने वाली सूचनाएं संवेदनशील हो सकती है, इसलिए इन सूचनाओं का दुरुपयोग सम्भव है।
यह निजता कानून के ख़िलाफ है और इसके लिए आईटी सुविधादाताओं को कानूनी रुप से
जुर्माना भी देना पड़ सकता है। जबकि लाभार्थी दिव्याशुं का इस मामले में मानना है
कि सिक्योरिटी बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है। आज भी मरीजों को सही समय पर सुविधा जनक
लाभ नहीं मिल पाता है और इसी को आसान बनाने के लिए आम लोगों के हित में ये सेवा
लायी गयी है। वह कहते हैं कि ‘मेरा मानना है कि जिनकी
सिक्योरिटी का मुद्दा आता है उनके पास उनके निजी डॉक्टर होते हैं, उनके फ़ेमिली
डॉक्टर होते हैं, तो यदि जहाँ तक सिक्योरिटी का मुद्दा है तो इससे आम लोगों का
बहुत सरोकार नहीं जुड़ा हुआ है। यदि फिर भी कुछ रिस्क है तो वह इस सेवा के लाभ के
सामने गौण ही सिद्ध है।’
हालांकि, यद्यपि इस प्रक्रिया में ऐसे कुछ
सामान्य ख़तरे ज़रूर हैं, लेकिन बावजूद इसके लिए तमाम विशेषज्ञों द्वारा कई
महत्वपूर्ण तकनीकों के माध्यम से इसकी सुरक्षा के लिए ज़रुरी क़दम उठाए गए हैं और
तमाम प्रयास लगातार ज़ारी भी हैं।
पंजीकरण प्रणालीः
चूंकि अस्पतालों में मरीज के रोग से सम्बन्धित
अलग-अलग ओपीडी होती हैं और उनकी अपनी निर्धारित क्षमताएं भी होती हैं, इस लिहाज से
प्रश्न खड़ा होता है कि क्या सामान्यतः अप्वाइंट मिलने में मरीजों को किसी तरह की
असुविधा का भी सामना करना पड़ता है अथवा नहीं। इस मामले में अखिल भारतीय विज्ञान
एवं प्रोद्योगिकी संस्थान नई दिल्ली के मीडिया को-ऑर्डिनेटर राजीव मैखुरी का कहना
है कि ‘कई बार ऐसा होता है कि देश के दूर-दराज इलाकों से हमारे पास मरीज बिना
अप्वाइंटमेण्ट के चले आते हैं और हमारे पास ओपीडी में जगह नहीं होती है तो उस मरीज
को अगली बार का अप्वाइंटमेण्ट लेकर वापस जाना पड़ जाता है, जिससे उसको दिक्कत होती
है। इस तरह हम देखते हैं कि पंजीकरण मरीज के लिए पहली सीढ़ी होती है जिसको वह
आसानी से चढ़ जाना चाहता है, इस लिहाज से ई-हॉस्पिटल की सेवा लोगों को बहुत पसन्द
आ रही है। हमारे पास अब मैनुअल मरीजों की संख्या में भी कुछ कमी देखने को मिल रही
है, अधिकतम लोग ई-हॉस्पिटल की सेवा से लाभान्वित हो रहे हैं। उनकी और बेहतरी के
लिए सरकार ने सभी क्षेत्रों में अलग-अलग ओपीडी की भी व्यवस्था कर दी है, तो लोगों
को निश्चित रूप से ई-हॉस्पिटल का लाभ लेना चाहिए और लोग भारी मात्रा में इसका
उपयोग कर भी रहे हैं।’
ई-हॉस्पिटल में पंजीकरण के लिए ऑनलाइन
रजिस्ट्रेशन सिस्टम यानी ओआरएस (ORS) विकसित किया गया है
जो संपूर्ण देश में आधार कार्ड पर आधारित पंजीकरण करता है। यानी आप मात्र अपने
आधार नंबर को अंकित कर ई-हॉस्पिटल में अपना पंजीकरण करा सकते हैं। इसमें आउट
पेसेण्ट डिपार्टमेंट (OPD) आदि कि सुविधाएं भी प्राप्त कर
सकते हैं और अगर मरीज का मोबाइल नंबर यूनिक आईडेण्टिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया (UIADI) में दर्ज़ है तो ई-केवाईसी (e-KYC) के माध्यम से
हम इस पोर्टल में विभिन्न अस्पतालों के तमाम विभागों में ऑनलाईन अप्वाइंटमेण्ट ले
सकते हैं। लेकिन पुनः ध्यान रहे कि अगर मरीज का मोबाइल नंबर UIADI में पंजीकृत नहीं है तो उसके नाम के आधार पर पंजीकरण होता है। नए मरीज को
अप्वाइंटमेण्ट के साथ-साथ एक यूनिक हेल्थ आईडेण्टिफिकेशन नंबर दिया जाता है। अगर
आधार नंबर UIADI नम्बर से पहले से ही लिंक है तो
अप्वाइंटमेण्ट नम्बर दिया जाता है और UIADI वही रहता है।
नए मरीज को अप्वाइंटमेण्ट लेने का तरीकाः
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ
तकनीकी निदेशक सुनील कुमार बताते हैं कि ‘यदि आप रोगी
हैं और एम्स या डॉ. राम मनोहर लोहिया, नई दिल्ली जैसे अस्पताल में दिखाना चाहते है
तो आप ors.gov.in नामक पोर्टल पर जाकर पहले से ही अपॉइंटमेंट
ले सकतें है जो आप को रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए लम्बी कतारों में खड़े होने से
बचाएगा | आप आधार नंबर से या बिना आधार नंबर के अपॉइंटमेंट ले सकते हैं | इसके
इलावा आप लैब-रिपोर्ट भी घर बैठे देख सकतें है | कुछ ब्लड बैंको में खून की
उपलब्धता भी पता कर सकते हैं | आज तक इस पोर्टल के माध्यम से 15 अस्पतालों से 1.13
लाख से भी अधिक लोग अप्वाइंटमेण्ट ले चुके हैं।’
यानी नए मरीज को ई-हॉस्पिटल सेवा का लाभ लेने
के लिए सबसे पहले www.ors.gov.in पर जाना होगा।
अगर आपके पास आपका आधार नम्बर है और आपका मोबाइल नम्बर आपके आधार से लिंक है तो
आपके मोबाइल पर एक वन टाइम पासवर्ड यानी ओटीपी(OTP) प्राप्त
होगा, फिर उसे आप वेबसाइट पर अंकित करके अपना अस्पताल चुनकर उसकी ओपीडी का
अप्वाइंटमेण्ट ले सकते हैं और यदि आपके आधार कार्ड से आपका मोबाइल नंबर लिंक नहीं
है तो उस स्थिति में आपको आधार कार्ड पर लिखित अपना नाम वेबसाइट पर भरना होगा और
जनसांख्यिकीय प्रमाणीकरण के बाद आपको अपना मोबाइल नंबर और अन्य जानकारियां जैसे
पता और उम्र आदि की जानकारीयां देनी होंगी। इसके अलावा यदि मरीज के पास आधार नंबर
नहीं है तो उस स्थिति में वह ऑनलाईन अप्वाइंटमेण्ट तो कर सकता है लेकिन उसे सम्बन्धित
अस्पताल के ओपीडी में जाकर अपने पहचान की पुष्टि करा कर ओपीडी-कार्ड प्राप्त करना
होगा और इसके बाद मरीज को उसका अप्वाइंटमेण्ट स्टेटस एक एसएमएस के द्वारा प्राप्त
हो जाएगा।
तालिका (क):-
ई-हॉस्पिटल के मुख्य आकर्षणः
∙ ISO/IEC 9126
पंजीकृत
∙ HDF (HL7
डेवेलपमेण्ट फ़्रेमवर्क) पर आधारित
∙ यूनीकोड आधारित भारतीय बहुभाषा समर्थन
∙ विभिन्न अनुकूलन मापदण्डों के आधार पर
व्यापकता एवं सुगमता
∙ नियंत्रण और सुरक्षा आधार पर व्यापक महत्व
∙ डाटा सुरक्षा और गोपनीयता
∙ लेन-देन का अंकेक्षण
∙ शब्दकोष- ICD-9 & LOINC etc.
∙ मरीजो के ब्यौरों की तीव्र एवं प्रभावशाली
उपलब्धता
∙ KIOSK
टचस्क्रीन यूज़र इण्टरफेस
∙ WINOWS और LINUX
पर उपलब्धता
स्रोतः http//tsu.trp.nic.in/ehospital
तालिका (ख):-
ई-हॉस्पिटल की अस्पतालों की मैनुअल सेवाओं से तुलनाः एक नज़र...
सेवा/सुविधाएं
|
मैनुअल
प्रणाली में
(प्रति
मरीज)
|
ई-हॉस्पिटल
प्रणाली में (प्रति मरीज)
|
मरीज
पंजीकरण
|
1
से 15 सेकण्ड
|
3
से 5 सेकण्ड
|
पुनः
पंजीकरण
|
15
से 30 मिनट
|
15
सेकण्ड
|
भुगतान
और नकद जमा
|
2
से 4 घण्टे
|
30
सेकण्ड
|
प्रयोगशाला
परीक्षण रिपोर्ट (ओपीडी)
|
1
से 2 दिन
|
अधिकांशतः
उसी दिन
|
रेडियोलॉजी
परीक्षण रिपोर्ट (आरपीडी)
|
1
से 2 दिन
|
अधिकांशतः
उसी दिन
|
आपातकालीन
सेवाओं जैसे- एंबुलेंस/रक्त-कोष/OT
|
अप्रबंधित/कुछ
विशेष केन्द्रों पर उपलब्ध
|
प्रबंधित
और लगभग सभी केन्द्रों पर उपलब्ध
|
आहार
सुविधाएं
|
अप्रबंधित
आहार/प्रति आहार पैमाने पर ही वितरण
|
प्रबंधित
आहार वितरण प्रणाली/प्रति आहार पैमाने पर विस्तृत सूची प्रणाली द्वारा वितरण
|
सामान-सूची
|
अप्रबंधित
और महत्वपूर्ण भण्डार का दुरुपयोग
|
प्रबंधित/दुरुपयोग
पर नियंत्रण
|
रक्त-कोष
|
मैनुअल
और अपर्याप्त
|
रक्त
उपयोगिता में बढ़ोत्तरी/रक्त की सूचना का प्रसारण और अतिरिक्त परीक्षणों की
पुनरावृत्ति से बचाव/केन्द्रित रक्त सूची की उपलब्धता और धन की बचत
|
चिकित्सकों
द्वारा देखभाल की योजना
|
मौका
मिलने पर देखभाल और समय का अपव्यय
|
EMR होने से चिकित्सक को योजना निर्माण और निरीक्षण में सुगमता
|
स्रोतः informatics.nic.in जनवरी, 2014;
तालिका (ग):-
ई-हॉस्पिटल का कार्य-प्रवाह
अनुप्रयोग
प्रबंधन
मरीजों
का पंजीकरण
क्लीनिक
आईपीडी
प्रयोगशाला
आरआईएस
और पीएसीएस
शल्य-क्रिया
बीमा
और भुगतान
ईएमआर
और सीडीए
फॉर्मेसी
नर्सिंग
एच.आर.
भण्डारण
और सूची
उपकरण
प्रबंधन
संरचना
सुगम
उपयोगी
ISO/IEC9126 प्रमाणित
HL7 डेवेलपमेण्ट फ़्रेमवर्क
थर्ड
पार्टी से जुड़ाव
PACS डिवाइसेस
बार-कोड
डिवाइसेस
बायोमेट्रिक
डिवाइसेस
लेब
डिवाइसेस
अन्य
वाह्य
प्रणाली अन्तरकार्यकारिता
इण्टरहॉस्पिटल
ईएमआर
विनिमय
अन्य
तालिकाः(घ)
ई-हॉस्पिटल्स का विवरण
क्र.
सं.
|
अस्पताल
का नाम
|
पता
|
सम्पर्क
|
1.
|
गवर्नमेण्ट
मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल
|
सेक्टर-32,
चंडीगढ़
|
01722665253
, manoj.vohra@gmch.gov.in
|
2.
|
पोस्ट
ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल एजूकेशन और रिसर्च
|
सेक्टर-12,
चंडीगढ़
|
01722755590
, system.analyst@pgimer.edu.in
|
3.
|
डायरेक्टरेट
मेडिकल एण्ड हेल्थ सर्विस
|
सिलवासा,
दादर एवं नगर हवेली
|
0260(2642940)
, sheetal.solanki11@gmail.com
|
4.
|
अखिल
भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (एम्स)
|
अंसारी
नगर, नई दिल्ली
|
011-26588500,
director@aiims.ac.in
|
5.
|
डॉ.
राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल
|
कनॉट
प्लेस, नई दिल्ली
|
011
2336 5525,
|
6.
|
कलावती
सरण चिल्ड्रेन हॉस्पिटल
|
बांग्ला
साहिब मार्ग, नई दिल्ली
|
23344160-Ext.-402
, drkksinghal@gmail.com
|
7.
|
लेडी
हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एण्ड श्रीमती सुचेता कृपलानी हॉस्पिटल
|
शहीद
भगत सिंह मार्ग, दिल्ली
|
011-23408376
, drpreeti.chauhan@rediffmail.com
|
8.
|
राष्ट्रीय
क्षय एवं श्वसन रोग संस्थान
|
दिल्ली
|
011-26854922
, v.vohra@nitrd.nic.in
|
9.
|
सफ़दरजंग
हॉस्पिटल एण्ड वीएमएमसी
|
रिंग
रोड, दिल्ली
|
01126176990
, ic.it@vmmc-sjh.nic.in
|
10.
|
स्पोर्ट्स
इंजरी सेण्टर, सफ़दरजंग हॉस्पिटल
|
दिल्ली
|
098914
95930,
|
11.
|
पीएचसी
एचसी सचिवालय
|
शिमला
|
0177288585
, docsatishkumar@gmail.com
|
12.
|
नेशनल
इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेण्टल हेल्थ एण्ड न्यूरो साइंस
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बैंगलुरू
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080-26995001, |
13.
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प्राइमरी
हेल्थ सेण्टर वालसँग
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सोलापुर,
महाराष्ट्र
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02172258026
, phcvalsang@gmail.com
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14.
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जवाहरलाल
इंस्टीट्यूट ऑफ़ पोस्टग्रेगुएट मेडिकल एजुकेशन एण्ड रिसर्च
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पुडुचेरी
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080-26995001, |
15.
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अगरतला
गवर्नमेण्ट मेडिकल कॉलेज
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कञ्जबन
पोस्ट ऑफ़िस, अगरतला-त्रिपुरा
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0381-235-7130,
agmc@rediffmail.com
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स्रोतः ors.gov.in/copp/more/jps
इसके अतिरिक्त कुछ और भी अस्पताल इस सेवा के
साथ जोड़े गए हैं जो ई-हॉस्पिटल के साथ मिलकर काम कर रहे हैं-
∙ चरक पालिका हॉस्पिटल, मोतीबाग़, नई दिल्ली।
∙ सिविल हॉस्पिटल, सेक्टर-45, चंडीगढ़।
∙ पालिका हेल्थ कॉम्प्लेक्स, चाणक्यपुरी- नई दिल्ली।
∙ पालिका मेटरनिटी हॉस्पिटल, लोधी कॉलोनी-नई दिल्ली।
∙ रेफ़रल हॉस्पिटल सीएपीएफ़एस (CAPFs)
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