Wednesday, 27 April 2016

नन्हें क़दम..







 कचरा-कचरा नगर हुआ
हर छांव हो रही दूषित,
जल ज़हरीला हुआ चला
औ माटी भी है शोषित।

कूड़े का अंबार लगा
हर नुक्कड़ चौक-चौराहों पर,
खुद पर क़ाबू रहा नहीं
न रहा ध्यान सफाई पर।



पेड़ कटे, सूखे तालाब
हालात हो गए कितने ख़राब,
ले सुध खुद से क़दम बढ़ा तू
ना भटक आज दो राहे पर।



है जगी चेतना राष्ट्र उठा
एक नई दृष्टि का भाव जगा,
इन नन्हें क़दम हथेली से
गांव शहर सब स्वच्छ बना।



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