Wednesday, 29 April 2015

स्नेह/सेवा...


आज देश की कुछ महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियां संभाल रहे एक कद्दावर राजनेता के सरकारी आवास पर जाना हुआ, मुलाकात की और लम्बे समय तक रुकना हुआ। देखा कि उनके 4-5 साल के मृदुल बच्चे ने उन्हें स्टेचू कर दिया और भाई साहब सहसा रुक गए। हम ताकते रहे कि वो अब सिथिल हो रहे हैं, लेकिन वो चुपचाप खड़े के खड़े रहे, वो भी पूरे अनुशासन के साथ। देखकर लगा जैसे उस नन्हें बालक ने एक ही झटके में पूरे युवा मोर्चा और बीसीसीआई को स्टैण्डबाई में डाल कर छोड़ दिया हो। मैं एक पल असहज भी हुआ था।
थोड़ी देर बाद पता चला कि वो अपने दोनों बच्चों से काफी कम मिल पाते हैं। इसलिए काम से जब भी थोड़ी फुरसत मिलती वो बड़ी शिद्दत से अपने बच्चों को समय देते हैं। सेवा और स्नेह का ये समन्वय देखकर दिल एकबारगी स्वस्थ हो उठा, जो आजकल थोड़ा sick है।


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