Tuesday, 28 November 2017

चमक चेहरे की...

∙ अमित राजपूत

चमक चेहरे की ऐसी कि नूर भी शरमा जाए,
हँसी बरक़रार रहे ऐसी कि दुःखों को भरमा जाए !
लगी आग जंगल में फिर चाहे हो कितनी
बुझे तो बस इतना कि शबनम छूकर भी बहार आ जाए !!

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