ब्राह्मण
Thursday, 2 November 2017
चिलमन
उठेगा चिलमन फ़िज़ाओं से जब कभी
खिलेगी कली बहारों में रंग लाएगी।
बिखेर कर ख़ुशबू करेगी हैरान फिर भी
चोखा चढ़ेगा रंग इश्क़ का, संग जश्न लाएगी।।
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