इस बार के पद्म पुरस्कारों में इलाहाबादियों
ने प्रयाग का नाम एक बार फ़िर से गौरवान्वित कर दिया।
इसके लिए दो महापुरुषों का नाम चुना गया है कुम्भ की माटी से। पहला
नाम है, महान संविधानविद् सुभाष कश्यप का। और दूसरा नाम है,
महानायक अमिताभ बच्चन का। ज़ाहिर है दोनों ही व्यक्तित्व पूरी
दुनिया में अपने-अपने क्षेत्र के अद्वितीय ध्रुव हैं, फिर भी
अब तक की सरकारों ने इनको इनके ओहदे से अछूती ही रखती रही।
अब जब इनको पद्म सम्मान के लिए चयनित किया गया है, तो हर इलाहाबादी के चेहरे फड़कने लगेंगे। सनद रहे कि हर वो व्यक्तित्व
जिसने इलाहाबाद को आत्मसात किया है, इलाहाबादी है, फिर वो चाहे नेहरू हों, एएन झा हों या कोई बच्चन।
साहब सुभाष कश्यप जी के जश्न के लिए उम्मीद है कि पीसी बनर्जी
छात्रावास अपनी कसर नहीं उठा रखेगा। और उसकी खुशी को व्यक्त करने के लिए तमाम
छात्रावासीय आतिशबाज़ी भी आपेक्षित है। इसमें उसका साथ सभी छात्रावासों के देने की
उम्मीद भी है कि वो आतिशी का सामान अपने यहां से उठा कर पीसीबी में पहुंचा दें।
आख़िर पूरी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जुड़ी खुशी है। ये मात्र पीसीबी के सीनियर
होने का प्रसंग नहीं है।
दूसरे, दुकान जी जब अमित जी का जन्मदिवस मनाते
हैं तो भला किससे छिपा है। वो पूरा संगम तट अपने स्कूटर से ही तय करते हैं। पर
सुना है कि आजकल उनके स्कूटर का विवाह वहीं दारागंज में ही किसी के स्कूटर से कर
दिया गया है। परन्तु, आनायास चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है,
दुकान जी जुगाड़ से अपना काम बनाने में खूब माहिर हैं, ऐसे थोड़ी न राखी सावंत उनकी मुरीद हुई थीं।
खैर ख़ुशी मनाने वाले सिर्फ़ इतने ही नहीं हैं भाई, आमिताभ बच्चन के नाम पर मुट्ठीगंज मा जउन बवाल कटता है रजा.... अब का
बताई। विनय श्रीवास्तव जी तो अकेले ही पूरे थिएटर जगत के लिए काफी हैं वहां। इसके
अलावा साहित्यकारों का जमावड़ा भी इस बार अमिताभ बच्चन जी की इस ख़ुशी में शामिल
हो सकता है और होना भी चाहिए।
चलो अमित जी को पद्मभूषण और सुभाष जी को पद्म भूषण के लिए ढेरों
शुभकामनाएं।।।।।
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