∙ अमित राजपूत
माना के चमकदार बहुत है क्राउन तुम्हारे तख़्त का
पर है होश भला तुमको, यहाँ क्लॉडियस हैं घूमते
बेताबी लिए किंग क्लॉडियस की, रोज़ पोलोनियस को हैं
ढूँढ़ते
हेमलेट बनों साथी, वरना मारे जाओगे
बो रहे हो आम हाँ, पर बबूल ही पाओगे
किया जो घात किसी ओफ़ीलिया के बाप ने
तो ज़हर बुझी तलवार संग विष का प्याला पाओगे
बचा लो तख़्त
बनों सख़्त
वरना मुँह की खाओगे
सो मोड़ दो मुँह को, बदलते हुए वक़्त का
क्योंकि चमकदार बहुत है क्राउन तुम्हारे तख़्त का।
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