∙ अमित राजपूत
अगर आप नैनीताल घूमने का प्लान कर रहे हैं तो कुछ ख़ास
बातों का ध्यान देकर आप वहाँ तनाव-मुक्त सैर का मज़ा ले सकते हैं। अक्सर जब हम
किसी पर्यटन पर होते हैं तो हम उस जगह को जीने की फिराक़ में होते हैं। हम वहाँ उन
तमाम बिम्बों को खोजने का प्रयास करते हैं जो उक्त पर्यटन का प्रतिनिधि हो, फिर
चाहे वो वहाँ की सभ्यता हो, खान-पान हो, शिल्प हो या फिर वहाँ का भूगोल हो। लेकिन
कभी-कभी घूमने जाने वाली जगह के प्रति हमारी असहजता वहाँ की मौज को फीका बना देता
है। यहाँ मैं आपको नैनीताल के प्रति सहज बनाने की कोशिश करुँगा जिससे जब आप वहाँ
जायें तो मस्त चित्त से सैर का लुत्फ़ उठा सकें। आइए जानें किन बातों का रखना है
हमें ख़ास ख़्याल...
लोकल फूड : आपने ये कहावत तो ज़रूर ही सुनी होगी कि ‘ईट
लोकल-थिंक ग्लोबल’ । जी हाँ, हमें आँख मूँदकर इसका अमल भी
करना चाहिए। जहाँ भी घूमने जाएँ वहाँ का लोकल फूड खाने से बिल्कुल न चूकें।

नैनीताल में लोकल फूड के नाम पर यहाँ की दानेदार
वाली बर्फ़ी मात्र आपको मिल सकती है। आप मिठाई की दुकान में बस यही ‘दाने वाली बर्फ़ी’ कहकर माँग सकते हैं। नैनीताल जब
आप जाएँ तो यहाँ की इस दाने वाली बर्फ़ी का स्वाद चखना न भूलें।
हिमालयन प्वाइंट :
नैनीताल में एक ख़ास हिमालयन प्वाइंट है। यहाँ से हिमालय पर्वत बेहद साफ़ और
ख़ूबसूरत दिखता है। अगर आप सार्वजनिक साधन से नैनीताल पहुँचे हैं तो फिर आपको गंडोला,
टैक्सी आदि से हिमालयन प्वाइंट जाना पड़ेगा। लेकिन यदि आप अपने निजी साधन से हैं
तो ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि आपकी के साथ ही आप हिमालयन प्वाइंट तक पहुँच
सकते हैं। हालांकि ऊपर पहाड़ में छोटी-छोटी चार पहिया गाड़ियों के साथ आपको कुछ
लोग मिलेंगे जो आपसे यह कहेंगे कि आपकी गाड़ी उस हिमालयन प्वाइंट तक नही जा पाएगी
ताकि आप अपनी बड़ी चार पहिया गाड़ी को उनके पास छोड़कर उनकी छोटी वाली चार पहिया
गाड़ी को किराये पर ले जाएँ। इससे आपको बचना होगा। आप कितनी भी बड़ी चार पहिया
गाड़ी साथ लेकर गए हों, वह हिमालयन प्वाइंट तक जाने में सक्षम है और गाड़ी ले जाने
की आपको पूरी छूट भी है।
बेहतर यही होगा कि आप अपनी ही गाड़ी से हिमालन
प्वाइंट तक जाएं और सैर करें, वहाँ का भरपूर मज़ा लें। इसके लिए रास्ते में पड़े
उन छोटी गाड़ियों वाले ग्रुप को नज़अंदाज़ कर आप आगे बढ़ें।

नैनीताल के पूर्णतः मौलिक शिल्पों में आज भी
यहाँ की मोमबत्तियाँ और चीड़ के फूलों से बनी कलाकृतियाँ लोगों की ख़ासा पसन्द का
हिस्सा हैं। ये दोनों ही चीज़ें आपको नैनीताल से बाहर कहीं नहीं मिलेगी। इसलिए आप
यहाँ से इन दोनों सामानों को ख़रीदकर ले जा सकता हैं। इसमें मोमबत्तियाँ सभी के
लिए सबसे किफ़ायती है सुलभ हैं। विशिष्टता में तो इनका कोई सानी भी नहीं है। आप
किसी अपने ख़ास नैनीताल की कोई निशानी ले जाना चाहते हैं तो इसमें यहाँ की इन
मोमबत्तियों को पहले तरजीह दें। ये मोमबत्तियाँ 10 रुपये से लेकर आपकी इच्छा तक के
दामों में आपको मिल जाएंगी जोकि काफ़ी ख़ुशबूदार और भिन्न-भिन्न डिज़ाइनों और आकृतियों
वाली होती हैं।
चिड़ियाघर : समुद्रतल से 2100 मीटर की ऊँचाई पर 4.693 हेक्टेयर में फैला नैनीताल
चिड़ियाघर बेहतर प्रबंधन की मिसाल है। ये बेहद छोटा सा चिड़ियाघर है, लेकिन अपने
विशेष प्रबंधन के कारण यह बिल्कुल उपयुक्त है। जिस पहाड़ पर चिड़ियाघर है वहाँ से
तल्लीताल और मल्लीताल के नज़ारे और सामने बसे शहरों की छवि के दर्शन का अलग ही
आनन्द है।
जब आप मॉल रोड पर चलते-चलते चिड़ियाघर के लिए
जाने वाले चढ़ाईनुमा रास्ते में मुड़ रहे होंगे तो उसके मुँहाने पर ही आपको 4-5
लोग यह टोकते हुए मिलेंगे कि ऊपर 2 किलोमीटर की चढ़ाई है इसलिए यहाँ से किराये की
चारपहिया गाड़ी की सुविधा ले लीजिए। दिलचस्प बात यह है कि जब आप चिड़ियाघर जा रहे
होंगे उससे पहले घूमकर आपको थोड़ा-थोड़ा थकी का एहसास हो चुका होगा। लिहाजा बहुत
मुमकिन है कि 2 किलोमीटर की इस चढ़ाई को भांपकर आप उनकी सुविधा ले लें। एक बात और
कि यदि आप उस मुँहाने पर अपनी निजी गाड़ी से प्रवेश ले रहे होंगे तो आपको यह कहकर
भी उन लोगों द्वारा डराया जाएगा कि ऊपर रास्ता अत्यधिक सँकरा है और आपकी गाड़ी पर
गहरी खँरोचें आ जाएंगी।

इस तरह से उक्त इन तमाम बातों का ख़्याल करके
आप नैनीताल में होशियार रहेंगे और बिना ठगा हुआ महसूस किये प्रकृति के आनन्द का रस
बटोर पाएंगे।
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