Wednesday, 3 January 2018

MO JO के सहारे न्यू-मीडिया का रूप बदलेगा ईनाडू-ग्रुप

• अमित राजपूत


                 दुनिया में सूचना क्रान्ति की रफ़्तार दिन--दिन बढ़ती चली जा रही है। उसकी इस रफ़्तार में अलग-अलग पड़ाव मिलते हैं जहाँ हमें माध्यम बदलते हुए नज़र आते हैं। इसका आशय यह हुआ कि जब सूचना क्रान्ति में हमें नया माध्यम देखने को मिले तो यह संकेत होता है कि सूचना क्रान्ति अपने एक और पड़ाव तक का सफ़र तय कर चुकी है। चूंकि हम यह भी देख रहे हैं कि दुनियाभर में रिपोर्टिंग के तरीक़े कैसे बदलते जा रहे हैं। इससे परे यूरोप सहित दुनिया के हर कोने में पत्रकारिता और इसके माध्यमों पर नये-नये शोध व प्रयोग भी हमें देखने-सुनने को लगातार मिलते हैं। ऐसे में आज बेहद सुखद है यह जानना कि सूचना के क्षेत्र में हमने MO JO के रूप में एक स्निग्ध माध्यम पा लिया है। इसी के साथ हम यह भी कह सकते हैं कि वस्तुतः न्यू मीडिया कहा जाने वाला माध्यम भी अब पुराना हो चला है। न्यू मीडिया के नए अवतार के रूप में अब हमारे सामने हैं MO JO...

MO JO का अभिप्राय मोबाइल पत्रकारिता से है। यहाँ MO शब्द का गढ़न मोबाइल और जर्नलिज़्म शब्द से JO को गढ़ा गया है। इस तरह से मोबाइल पत्रकारिता को ही हम MO JO कहते हैं। वास्तव में न्यू मीडिया की कहानी का एक उभरता हुआ रूप है MO JO. पत्रकारिता के इस माध्यम में पत्रकार अपने स्रोतों और विविध समुदाय से समाचार एकत्रित करनेसंपादित करने और उन्हें वितरित करने के लिए नेटवर्क अथवा कनेक्टिविटी के साथ पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया करते हैं। इसमें वे डिजिटल कैमरे और कैमकॉर्डरलैपटॉप पीसीस्मार्टफोन या टैबलेट डिवाइस आदि का भी उपयोग कर सकते हैं। अपनी स्टोरी और फ़ीचर आदि का प्रकाशन करने के लिए अंततः पत्रकार एक ब्रॉडबैण्ड वायरलेस कनेक्शन या सेलुलर फोन नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे पत्रकारों को आजकल मोज (मोबाइल पत्रकार) के नाम से जाना जाता है।

प्रायः आधुनिक समय में MO JO पर काम करने वाले पत्रकारों को लोग वीडियो जर्नलिस्ट समझ बैठते हैं, हालांकि उनको ये साफ़ मालूम होना चाहिए कि यह मात्र तकनीकी कौशल नहीं हैअपितु यह तो पत्रकारिता का आधार है। बल्कि इसे न सिर्फ़ आधार ही कहा जा सकता है क्योंकि वास्तविकता तो यह है कि MO JO मल्टी-मीडिया रिपोर्टिंग के तीन स्तरों का वर्णन करता है। इसलिए इसमें तो इन सभी स्तरों पर अत्यन्त परिपक्व पत्रकार ही काम कर सकते हैं।


MO JO एक बहुप्रतीक्षित माध्यम है। यह एक उचित मानसिकता या सोचने के तरीके को अपनाने का माध्यम हैजिसकी अच्छाई है घटनाओं के साथ-साथ चलने की प्रक्रिया में इसकी सुलभता। इसके कारण कोई भी विचार MO JO से अछूता नहीं रह सका है। MO JO में परिष्कृत एप्लिकेशन के माध्यम से यूज़र-जनरेटेड कंटेण्ट (यूजीसी) को यूजर-जनरेटेड स्टोरीज़ (यूजीएस) में फौरन-फौरन बदला जा सकता है। यही कारण है कि संवेदनशीलता के स्तर पर एक अच्छे ऑब्ज़र्वेटिव के साथ-साथ औसतन अधिक संवेदनशील पत्रकार ही एक मोबाइल पत्रकार या मोजो हो सकता हैक्योंकि कोई मोजो मात्र अपने सोने के अलावा हर दौरान वह अपने काम पर होता है। इतना सक्रिय होता है एक मोजो क्योंकि बेहद प्रखर है यह माध्यम- MO JO.

टीवी चैनल हों या अख़बार या बेवसाइट सभी ने मोबाइल पत्रकारिता की गंभीरता को देखते हुए सिटीजन जर्नलिज्म के अपने कॉलम शुरू कर दिए हैं। बड़ी से बड़ी रिपोर्ट और इण्टरव्यू अब मोबाइल पर ही हो रहे हैं। एक बेहद चर्चित उदाहरण भी हमारे सामने है जब अभी हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व चर्चित राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने एक भारतीय पत्रकार को मोबाइल पर ही लाइव इण्टरव्यू रिकॉर्ड करवाया। हर हाथ मोबाइल की पहुँच हो जाने से अब हर नेताअधिकारी प्रत्येक क्षण सचेत रहते हैंक्योंकि वो जानते हैं कि आज हर हाथ में मोबाइल हैकुछ ऊँच-नीच होने पर सेकण्डों में वो दुनिया के सामने होंगे। मोबाइल पर रिकॉर्ड की गयी किसी नागरिक द्वारा हर छोड़ी-बड़ी स्टिंग आज नेशनल ख़बर का हिस्सा हो जाती है। ऐसे में मीडिया को इस मोबाइल के माध्यम तक अपनी पहुँच को बनाना बेहद ज़रूरी हो गया है। इसी माध्यम पर गम्भीरता से विचार किया है ईनाडू टेलीविज़न नेटवर्क ने।

ईनाडू टेलीविज़न नेटवर्क भारत का सबसे बड़ा सैटलाइट उपग्रह टेलिविज़न नेटवर्क है। इस मीडिया नेटवर्क पर बैरॉन रामोजी राव का एकाधिकार है जिसे हम अब ईटीवी-भारत भी कहते हैं। ईटीवी-भारत शायद एकाधिकार वाला देश का पहला मीडिया नेटवर्क है। इसका मुख्यालय हैदराबाद के विश्वप्रसिद्ध रामोजी फिल्मसिटी में स्थित है। जब नब्बे के दशक में भारत में सैटेलाइट टीवी क्रान्ति का जन्म हुआउसी समय आंध्रप्रदेश में ईनाडू ने तेलुगु भाषा में एक चैनल की शुरुआत कीमगर जल्द ही ईटीवी नेटवर्क ने देश के विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में कई चैनलों की शुरुआत की। बंगालीऊर्दूकन्नडगुजरातीमराठी सहित हिंदी में चार चैनल खोले गए। धीरे-धीरे ईटीवी का भारत में सबसे बड़ा न्यूज रिपोर्टिंग नेटवर्क बन गयाजो जिला और प्रखंड स्तर तक फैल गए।

अब एक बार फिर बैरॉन रामोजी राव दुनिया भर को चौकाने जा रहे हैं। वे कुल तेरह अलग-अलग भाषाओं में MO JO को शुरू करने जा रहे । मालूम हो कि इसी ईनाडू टेलीविज़न नेटवर्क के अंतर्गत तेरह भाषाओं में MO JO के चैनल संचालित हो रहे हैंजो चौबीसों घंटे समाचारशिक्षामनोरंजन और ज्ञान-विज्ञान से संबंधित रिपोर्ट और तरह-तरह के कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं। इसी के साथ MO JO को इतने व्यापक पैमाने पर शुरू करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बनने जा रहा है और ईटीवी-भारत ऐसे एकाधिकार वाला दुनिया का पहला टेलीविज़न नेटवर्क।


मिली जानकारियों के अनुसार ईटीवी-भारत ने दुनियाभर की मीडिया रिसर्च के बाद यह तय किया है कि वह भारत के भीतर एक साथ पूरे देश में सूचना क्रान्ति के लिए मोबाइल पत्रकारिता की नयी शुरूआत करने जा रहा है। इसके ट्रायल पूरे किये जा चुके हैं। इस दफ़ा ईटीवी-भारत देश के सँकरे इलाक़ों और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से जूझ रहे लोगों की दबी हुई आवाज़ों को MO JO के माध्यम से फिर से मुखर बनाने के लिए तत्पर है जो आज स्टूडियो वाली और संसद व नेताओं की गलियों में खोयी पत्रकारिता की बौखलाहट में कहीं ग़ुम सी हो गयी है।
तेजस्वी यादव के भाषण की ये तस्वीर MO JO क्रान्ति की सूचक है

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