ब्राह्मण
Monday, 12 March 2018
घर जले तो जले...
आदत है काटने की फसल, फलसफ़ा कुछ यूँ है
बीज नफ़रत का बो गया हो चाहे जितनी तले ।
चाहते हो भूल जाएँ वो जख़्म धार शोषण के सारे गिले
लाएँगे इंक़लाब साथी सुनो, किसी का घर जले तो जले ।
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