∙ अमित राजपूत
शेर- लोग
कहते हैं मुझे मैं भटकता भौंरा हूं
हर किसी की ज़द में आ जाए वो दौरदौरा हूं !
मिले जो आकर के ज़रा कोई मुझसे तो
चलेगा फ़िर मालूम के हाँ, मैं किसका औरा हूं !!
प्यार में डूबे हैं तेरे प्यार में हैं बावरे
नैनों में बस गए जो सनम हो गए हम साँवरे
प्यार में...
चश्म-ए-बद दूर हुआ
जब से तेरी नज़र लगी
नूर-ए-चश्म सजा
तिरछी चितवन में तेरी
रचा सूरमा कमाल किया और भी लगे प्यारे
प्यार में...
तपती धूप घनी
ठण्डी-मीठी छाँव बने
केश घुंघरारे घन
प्रेम बरसात करें
तेरे ताबेदार गेसुओं पे बन रहे मुहावरे
प्यार में...
तेरी मधु-सोम कली
जब मेरे अधर खिले
धड़कनें संग जुड़ें
जब-जब सांस मिले
होके महरम भी हमने लो तोड़ दिए दायरे
प्यार में...