∙ अमित
राजपूत
मासूम
परी लौटी आयी
मासूम
परी लौटी आयी
हुआ
जगमग जग सारा
मन
उपवन मेरा
सींचे
है ख़ुद को
ख़ुद
हर्षित है अब
हरा-भरा
सब लागे...
आयी, रुत मस्तानी मन भायी
मासूम
परी लौटी आयी
मासूम
परी लौटी आयी
लहद
मेरे अरमानों की अब
प्राण
भरी पुटकी दिखती है
झीनी
वाली चादर थी जो
मखमल
जैसी वो लगती है
कब
के सोये जागे...
पूरी, कर लो आज मिताई
मासूम
परी लौटी आयी
मासूम
परी लौटी आयी
तेरा
प्रेम अमिट जाना मैंने
चहुँ
ओर सखी साखी है ये
फिर
लौट ग़ज़ब आना तै ने
ताना
तन मन बन धन जाना
उसे
अरुणाँचल तक साजे...
देखो, प्राची शफ़क़ भर आयी
मासूम
परी लौटी आयी
मासूम
परी लौटी आयी
मासूम
परी लौटी आयी ।
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