Sunday, 11 October 2015

मिथ से बचें...


आज से तकरीबन पांच साल पहले माउण्टेन ट्रैकिंग के दैरान मेरा रातीघाट से कैंची धाम जाना हुआ था। जहां पहली बार मैने बाबा नीम/नीब करौली के बारे में सुना, देखा और समझा था। हां, ये सत्य है कि आज से पहले मैने जाने कितनी ही सिद्द पीठों के दर्शन किये हुये थे लेकिन वास्तव में यहां जो अहसास और अनुभूतियां हो रही थीं वह कुछ विचित्र और दुर्लभ थी। इसका मैने साथी ट्रैकर्स से भी ज़िक्र किया था और उन सबने मुझसे अपनी सहमति भी दी थी। यही कारण था कि मैने मन्दिर से बाबा श्री नीम करौली के बारे में उपलब्ध जितनी भी सामग्री थी ख़रीद लाया। उसमें कुछ पुस्तकें भी शामिल थीं। ट्रेनिंग से वापस आकर घर पर मैने उन पुस्तकों को ध्यान से पढ़ा। निष्कर्षतः बाबा श्री नीम करौली को महसूस करने, पढ़ने और चिन्तन करने के बाद इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता है कि वह धरती पर एक दुर्लभ व शक्तिशाली व्यक्ति थे। वह अत्यन्त ही सिद्धपुरुष थे। बाबा को पसीना नहीं आता था। उनकी मर्ज़ी के बगैर ट्रेन बढ़ न सकी थी। उनका शरीर रात्रि में वानरयुक्त भी हो रहा होता था(उनके एक चित्र में भी बांया हाथ जो उनके शरीर के नीचे हल्का सा दबा हुआ है वह बन्दरों की तरह का है। उक्त चित्र वही है, किन्तु इसमें कम्बल ज्यादा ढका हुआ है)। इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि वह अपनी मृत्यु के बाद अब भी अपने भक्तों को दर्शन देते हैं और उनका भला करते हैं। उनकी शक्तियों और सिद्धियों में मेरा यह भी पूर्ण विश्वास है कि उनकी ही कृपा पाकर बाबू शंकर दयाल शर्मा जी राष्ट्रपति बने थे। स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग और बराक़ ओबामा पर भी उनकी कृपा रही है यह भी सत्य है। उनमें श्री हनुमान जी का अंश भी अवश्य हो सकता है, बावजूद इसके बाब नीम करौली श्री हनुमान जी के अवतार रहे हैं यह एक घोर मिथ है। यह अन्ध विश्वास हैं। इससे बचें।
जय बाबा नीम करौली जी महाराज।
जय सिद्धपुरुष।।
जय सिद्धि।।।

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