ब्राह्मण
Sunday, 18 October 2015
वो पतवार कहां हैं...
तहजीबें बदल गयीं
दरख़्तों की छांव बदल गयी
बदला है देखो ये कितना ग़ैरत ज़माना
हैरत है
...
हम औ हमारा वतन कहां है
कहां हो
!
सरदार
....
जो देकर गये थे
वो पतवार कहां है
?.
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