ब्राह्मण
Sunday, 18 October 2015
कहां हो सरदार...?
रत्नजड़ित मणिका हे दुर्लभ
!
सरदार वल्लभ।
सरदार सरोवर में ये बहता नीर नहीं
रक़्त है तुम्हारा।
रियासत-ए-हिन्द
एकता के साथी
तुम ही हो भारत के सत्यधर्म पक्षधर
अवाम को वैभव, तहजीब और आनन्द तुम्हारी छांव से
तुम ही थे मांझी तुम ही पतवार
कहां हो सरदार
...?
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