स्वस्थ राष्ट्र हो हम सबका अपना
ये बिना बालिका दूर है सपना
दूर डगर है
बड़ा कठिन सफर है
ठहरो! ना घबराओ
तुम
यूं ही ना झल्लाओ तुम
हममे है यूनर्जी
औ सपनो का उल्लास
स्वस्थ बालिका- स्वस्थ समाज।
अब तक 'धर्म' अधर्म समझकर
कैसे घुटती रहीं बेटियां
कुपोषण के वारों को
कैसे सहती रहीं बेटियां
सहन न होगा बहुत सह लिया
हम अलख जगाने आए हैं
इक क़दम बढ़ाने आए हैं
हममे है यूनर्जी
औ सपनो का उल्लास
स्वस्थ बालिका- स्वस्थ समाज।
अब तक जिनकी छांव रही
वो अम्मा-चाची-भउजी
थोप चपाती धर देती थीं
खूब रही मनमौजी
हालत उनकी देख कलेजा अब थर्राया
जन-गण-मन से पूछा उसने यही बताया
हममे है यूनर्जी
औ सपनो का उल्लास
स्वस्थ बालिका- स्वस्थ समाज।
थोड़ा तो मुस्काएं बेटियां
घर-आंगन महकाएं बेटियां
क़दमों से हर मिला क़दम
वो खुद अपना संसार बनाएं
पढ़ें बेटियां- बढ़ें बेटियां
अब तो ठाना लड़ें बेटियां
हममे है यूनर्जी
औ सपनो का उल्लास
स्वस्थ बालिका- स्वस्थ समाज।
देश धरोहर तुम हो बेटी
तुम हो जग की जननी
करनी हो तेरी या मेरी
पर तुझको ही है भरनी
डरी-डरी सी सहमी तू
बार-बार घबराई तू
फिर भी कर विश्वास
हममे है यूनर्जी
औ सपनो का उल्लास
स्वस्थ बालिका- स्वस्थ समाज।
हाहाकारों के कोलाहल में
चीत्कार उठीं जो बेटियां
अभिशाप बताकर धता हुईं जो
ग़ुम गयीं वो बेटियां
चीर के सीना इस धरती का
खोज रसातल जाएंगे
हममे है यूनर्जी
औ सपनो का उल्लास
स्वस्थ बालिका- स्वस्थ समाज।
अतिसुंदर
ReplyDeleteशुक्रिया मित्रवर...
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