Monday, 6 June 2016

मुक़द्दर...


मुक़द्दर मेल का था
लेकिन
छिपाते कब तलक
तुम खुद को,
दरिया-ए-इश्क के भंवर में
डूबेगी बेवफ़ाई
और खुद वफ़ा भी
साहिल के पते पर
देखो..
वफ़ा एक है या दो।

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