अमित राजपूत
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी के टाइम्स नाऊ में अर्नब गोस्वामी को दिये गये साक्षात्कार के बाद
राजनैतिक गलियारों में हलचल थोड़ा बढ़ गयी है। उस साक्षात्कार में मोदी का बीजेपी
के थिंक टैंक कहे जाने वाले सुब्रह्मण्यम स्वामी पर हमला कई लोगों के रास नहीं आया
है।
मोदी के अर्नब को दिए
गये साक्षात्कार में डॉ. स्वामी पर हमला किया गया, इसका कारण क्या था यह लगभग सभी
को साफ-साफ पता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली के ख़िलाफ जाकर भारत सरकार के मुख्य
सलाहकार डॉ. अरविन्द सुब्रह्मण्यम पर सवाल उठाना शायद अरुण जेटली को पसन्द नहीं
आया और कोई बात अरुण जेटली को पसन्द ना हो ये भला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को
कैसे रास आ सकती है। बस फिर क्या था अरुण जेटली ने लिख डाली एक रुचिकर पटकथा और
टाइम्स नाऊ के मंच पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अर्नब गोस्वामी ने मिलकर
ज़ोरदार अभिनय किया। इस अभिनय में मोदी की तारीफ़ें तो ही ही रही हैं लेकिन साथ
में अर्नब कम तारीफ़ें नहीं बटोर रहे हैं। जनता अर्नब को अपने जॉनर से हटकर सौम्य
अभिनय में देख चकित है।
पर शायद दोनो ही
अभिनेताओं को ये नहीं मालूम है कि भारत में नाट्यशास्त्र का इतिहास बहुत पुराना
है। ख़ासकर मोदी को। मोदी को इस बात का मद है कि वो ही सर्वश्रेष्ठ अभिनेता हैं।
लेकिन ये जनता है साहेब... सब जानती है।
फिर भी मोदी इस हद तक
चले जाएंगे यह मुझे चकित कर गया। उन्होने डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी पर यह आरोप
लगाया है कि वह सस्ती लोकप्रियता के लिए लोगों में आरोप लगाए हैं और तो और उन्होने
यह सलाह भी दे दी कि ऐसे लोकप्रिय होने के फितूर वाले लोगों को देश के ख़िलाफ़
जाकर बोलना ठीक नहीं है।
ऐसे में क्या मोदी जी
ये साफ करेंगे कि क्या सरकार और उसके तंत्र के ख़िलाफ बोलना पाप है या इससे
व्यक्ति देश विरोधी हो जाता है। तब तो वामपंथी ठीक ही कहते हैं कि मोदी देशप्रेम
की अपनी परिभाषा गढ़ रहे हैं। मोदी को भ्रम है कि शायद उनसे पहले भारत में देश को प्रेम
करने वाले पैदा ही नहीं हुए हैं। शायद आज भी उनसे बड़ा देशभक्त इस भारत भूमि में
दूजा कोई नहीं है।
वास्तव में मोदी को
अपने इस भ्रम से बाहर आ जाना चाहिए, क्योंकि वो जिस तरह से जोटली के पक्ष में जाकर
नौटंकी (अभिनय की एक विधा) फैला रहे हैं उससे महत्वपूर्ण काज देश के लिए बाक़ी
हैं। वो शायद इस बात से अनभिज्ञ हैं कि तुरन्त देश निर्माण में भूमिका निभाने वाले
उच्च शिक्षा में संलग्न छात्र और शोधार्थियों का हाल क्या है, ऐसी संस्थाओं का हाल
क्या है और उनको शायद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में चल रही अनियमितताओं और वहां के
वीसी प्रो. रतन लाल हंगलू की करतूतों का भी पता नहीं है।
मोदी जी जनता मासूम
है इसका मतलब ये नहीं है कि वह बेवकूफ़ है। उसको तो महबूबा के द्वारा दिए गए
सूर्य- अर्द्ध के एक लोटे जल की कीमत का भी अंदाज़ा है जो आपको चुकानी पड़ी है।
फिलहाल आपने जो भी डॉ. स्वामी के बारे में बोला है वह निहायत ही ओछा और घटिया है। आप
ये कह गए कि डॉ. स्वामी लोकप्रियता चाहते हैं, जो भी डॉ. स्वामी को जानते हैं वो
हंसेगे आप पर महाराज। ख़ैर, डॉ. स्वामी से अभी भी आपको बहुत कुछ सीख लेने की
ज़रूरत है। स्वार्थी मत बनिए और कृपया देशप्रेम पर अपना पेटेण्ट मत समझिए। विरोध
कर पाने की ताक़त है तो स्वामी का नहीं उनके द्वारा कहे गए को हिला कर दिखाइए।
बाक़ी स्वामी का अतीत और उनकी क्षमता आपको भी बेहत पता है, यदि चकाचौंध में विस्मृत
भी हो गया हो तो बड़े अभी हैं आपके पास नतमस्तक होकर पूछ आइए। जनता ऐसा मानती है
कि आप विनम्र हैं और शालीन हैं, उम्मीद है कि जनता का आप ख़्याल रखेंगे और डॉ.
स्वामी के लिए कहे गए पर पश्चाताप करेंगें।
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