पिछली सरकार ने छोड़ी हैं ढेरों समस्याएं: साध्वी
कभी चाय बेचने वाले
मोदी आज प्रधानमंत्री हैं, तो बचपन में अपने पिता के साथ मिट्टी ढोने वाली साध्वी
निरंजन ज्योति अब अपने आश्रम से निकलकर संसद पहुंच चुकी हैं। केन्द्रीय मंत्रिमंडल
में हालिया विस्तार के बाद उन्हें खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री का दर्जा दिया
गया है।
खाद्य प्रसंस्कण में
व्याप्त निष्क्रियता को सक्रिय बनाने के लिए क्या सोचना है उनका। प्रस्तुत है अमित
राजपूत के साथ उनकी बातचीत के कुछ अंश...
•पहली बार संसद पहुंचते
ही मंत्री बनने वालों में से आप भी एक हैं। क्या चुनौतियां महसूस करती हैं मोदी
मंत्रिमंडल का हिस्सा बनकर?
पिछली सरकार देश के
सामने चुनौतियां ही चुनौतियां छोड़ गयी है। ये चुनौतियां आपको हर क्षेत्र में
देखने को मिल जायेंगी। देश की जनता के दम पर हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने उन
चुनौतियों को स्वीकार किया है। ज़ाहिर है कि उन्ही चुनौतियों में से मेरे हिस्से
की चुनौतियां भी मेरे सामने मौजूद हैं।
•यूपीए के शासनकाल की
महत्वाकांक्षी योजना ‘मेगा फूड पार्क योजना’ के
बारे में क्या कहना है, क्या सरकार इसे ज़ारी रखेगी?
23 पार्कों का लक्ष्य
रखकर यूपीए की सरकार ने इसे शुरू किया था, लेकिन पूरी की पूरी योजना मात्र काग़जों
में ही रही, मै जब मंत्रालय गयी तो पता चला कि वहां मंत्री-कर्मचारी पहुंचते ही
नहीं थे। हमने निश्चय किया है कि इस योजना
को ज़ारी रखते हुए जनता के हित के लिए इसे काग़जों से निकाल कर धरातल पर लागू किया
जाएगा।
•खाद्य पदार्थों का
प्रसंस्करण पूंजीपतियों के माध्यम से कराया जाना चाहिए या फिर इसे सीधे किसानों से
जोड़ देने में ज़्यादा भलाई है?
बिल्कुल, न सिर्फ
छोटे किसानों को बल्कि मंझोले और उन्नत किसानों को इससे जोड़ा जाएगा। हमारी योजना
ज़िलेवार किसानों को इसका प्रशिक्षण देने की है, जिससे वो सही ढंग से प्रसंस्करण
की तकनीक को सीख पाएंगे। इसके अलावा हम चाहते हैं कि निचले स्तर पर छोटी-छोटी
सोसाइटियां बनें जो एक-दूसरे से मिलकर काम करें।
•आपका संसदीय क्षेत्र
गंगा-यमुना के दो-आब में स्थित है, जहां उपजाऊ ज़मीन के कारण प्रसंस्करण की भी
काफी संभावनाएं हैं। क्या फ़तेहपुर को इन मामलों मे कोई विशेष तरजीह मिल सकती है?
‘सबका साथ-सबका विकास’
इस ध्येय के साथ ही सरकार अपने पर कदम पर काम कर रही है। किसानों के सीधे
प्रसंस्करण की विधियों से जोड़ने का प्रयास चल रहा है, जिससे उनके उत्पादों का
वैल्यू एडीशन बढ़ेगा और किसान सीधा लाभांवित होगा। यदि फ़तेहपुर में प्राकृतिक
दशाएं अधिक अनुकूल हैं, तो निश्चय ही वहां काम भी जनता की आशाओं के अनुरूप होगा।
•क्या आपकी भी सारी
योजनाएं वास्तव में धरातल पर लागू होने में कामयाब हो पाएंगी?
देश सरकार के अब तक
के कामकाज से उसकी इच्छा और लगन दोनो को भांप चुका है। अगर जनता और प्रांतीय
सरकारों से हमें बराबर सहयोग मिलेगा तो इसमे कोई दो राय नहीं है। परिणाम सभी के
सामने ज़रूर दिखेगा।
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